भ्रूण हत्या – feticide
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कुछ सांस्कृतिक और सामाजिक-आर्थिक नीतियों के कारण पुराने समय से किया जा रहा कन्या भ्रूण हत्या एक अनैतिक कार्य है। भारतीय समाज में कन्या भ्रूण हत्या के निम्न कारण हैं:
कन्या भ्रूण हत्या की मुख्य वजह बालिका शिशु पर बालक शिशु की प्राथमिकता है क्योंकि पुत्र आय का मुख्य स्त्रोत होता है जबकि लड़कियां केवल उपभोक्ता के रुप में होती हैं। समाज में ये गलतफहमी है कि लड़के अपने अभिवावक की सेवा करते हैं जबकि लड़कियाँ पराया धन होती है।
दहेज़ व्यवस्था की पुरानी प्रथा भारत में अभिवावकों के सामने एक बड़ी चुनौती है जो लड़कियां पैदा होने से बचने का मुख्य कारण है।
पुरुषवादी भारतीय समाज में महिलाओं की स्थिति निम्न है।
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अभिवावक मानते हैं कि पुत्र समाज में उनके नाम को आगे बढ़ायेंगे जबकि लड़कियां केवल घर संभालने के लिये होती हैं।
गैर-कानूनी लिंग परीक्षण और बालिका शिशु की समाप्ति के लिये भारत में दूसरा बड़ा कारण गर्भपात की कानूनी मान्यता है।
तकनीकी उन्नति ने भी कन्या भ्रूण हत्या को बढ़ावा दिया है।
नियंत्रण के लिये प्रभावकारी उपाय:
जैसा कि हम सभी जानते हैं कि महिलाओं के भविष्य के लिये कन्या भ्रूण हत्या एक अपराध और सामाजिक आपदा है। भारतीय समाज में होने कन्या भ्रूण हत्याओं के कारणों का हमें ध्यान देना चाहिये और नियमित तौर पर एक-एक करके सभी को सुलझाना चाहिये। लैंगिक भेदभाव की वजह से ही मुख्यत: कन्या भ्रूण हत्या होती है। इसके ऊपर नियंत्रण के लिये कानूनी शिकंजा होना चाहिये। भारत के सभी नागरिकों द्वारा इससे संबंधित नियमों का कड़ाई से पालन करना चाहिये। और इस क्रूरतम अपराध के लिये किसी को भी गलत पाये जाने पर निश्चित तौर पर सजा मिलनी चाहिये। चिकित्सों के इसमें शामिल होने की स्थिति में उनका स्थायी तौर पर लाइसेंस को रद्द करना चाहिये। गैरकानूनी लिंग परीक्षण और गर्भपात के लिये खासतौर से मेडिकल उपकरणों के विपणन को रोकना चाहिये। उन अभिवावकों को दण्डित करना चाहिये जो अपनी लड़की को मारना चाहते हैं। युवा जोड़ों को जागरुक करने के लिये नियमित अभियान और सेमिनार आयोजित करने चाहिये। महिलाओं का सशक्तिकरण होना चाहिये जिससे वो अपने अधिकारों के प्रति अधिक सचेत हो सकें।
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