रावण का युद्ध के लिये प्रस्थान – Ravana’s departure for war
यह भी पढे – राजतिलक की तैयारी – coronation preparations
राक्षस सेना को रावण के साथ आया देखकर वानर सेना भी ललकारती हुई सामने आ पहुँची। उसे देखकर रावण का क्रोध और भड़क गया। अत्यन्त क्रोधित हो उसने भारी मारकाट मचा दी। कितने ही वानरों के सिर काट डाले, कितनों के मस्तक कुचल डाले, कितनों ही की वक्ष चीर डाले। जिधर भी उसकी दृष्टि घूम जाती, वहीं उसके बाण वीर यूथपतियों को अपनी मार से व्याकुल कर देते। अन्त में बचे घायल वानरों ने दौड़कर श्री रामचन्द्र जी के पास गुहार लगाई। उनके पीछे-पीछे रावण भी श्री राम के सामने जा पहुँचा।
वानर सेना की दुर्दशा देखकर सुग्रीव ने सेना को संयत रखने का भार वीर सुषेण पर सौंपा और स्वयं एक विशाल वृक्ष उखाड़कर शत्रु पर आक्रमण करने के लिये दौड़ा। अनेक यूथपति भी बड़े-बड़े वृक्ष और पत्थर लेकर उसके पीछे-पीछे चले। उनकी मार से राक्षस सेना धराशायी होने लगी। राक्षस सेना को नष्ट होते देख विरूपाक्ष गर्जना करते हुये सुग्रीव पर आक्रमण करने के लिये दौड़ा। सुग्रीव ने एक बड़ा वृक्ष उस पर दे मारा जिससे विरूपाक्ष का हाथी वहीं मरकर ढेर हो गया। हाथी की पीठ से कूदकर हाथ में तलवार ले विरूपाक्ष सुग्रीव पर झपटा। दोनों में भयंकर युद्ध हुआ। उसकी तलवार से घायल हो सुग्रीव ने क्रोध से दाँत किटकिटाकर उसके वक्ष पर मुक्के का प्रहार किया। इससे वह और क्रुद्ध हो गया और तलवार के एक ही वार से सुग्रीव का कवच काट डाला। तब अत्यन्त कुपित हो सुग्रीव ने उस पर लगातार अनेक प्रहार किये। उसके शरीर से रक्त बहने लगा, एक आँख फूट गई। अन्त में उसने वहीं दम तोड़ दिया।
विरूपाक्ष के वध से कुपित महोदर ने वानर सेना में भयंकर संहार आरम्भ कर दिया। जब घायल होकर वानर इधर-उधर भागने लगे तो सुग्रीव ने एक बड़ी शिला उस पर दे मारी जिसे महोदर ने अपने बाणों से बीच में ही काट डाला। फिर सुग्रीव ने एक साल वृक्ष से उस पर आक्रमण किया, किन्तु उसने उसे भी काट डाला। जब सुग्रीव ने मारने के लिये परिध उठाया तो महोदर ने गदा से आक्रमण करना आरम्भ कर दिया। युद्ध में जब परिध और गदा दोनों टूट गये तो वे दोनों एक दूसरे पर मुक्कों से वार करने लगे। दोनों में से कोई भी हार मानने को तैयार नहीं था। तभी सुग्रीव और महोदर ने वहाँ पड़ी तलवारों को उठा लिया। महोदर ने तलवार से सुग्रीव का कवच काटने के लिये आक्रमण किया तो तलवार कवच में अटक गई। जब वह तलवार को खींच रहा था तभी सुग्रीव ने उसके सिर को धड़ से अलग कर उसे यमलोक पहुँचा दिया।
यह भी पढे – अयोध्या में आगमन – Arrival in Ayodhya
महोदर को मर जाने पर महापार्श्व सुग्रीव पर तीक्ष्ण हथियारों की मार करता हुआ टूट पड़ा। सामने जाम्बवन्त और अंगद को देखकर उसने अपने बाणों से दोनों को घायल कर दिया। इससे अंगद के नेत्र क्रोध से लाल हो गये। उसने एक परिध को उसकी ओर इतने वेग से फेंका कि उसके हाथ से धनुष और सिरस्त्राण छूटकर दूर जा गिरे। इससे क्रोधित होकर महापार्श्व ने एक तीक्ष्ण परशु अंगद पर फेंका किन्तु अंगद ने उसका वार बचाकर पूरी शक्ति से राक्षस के सीने पर घूँसा मारा। वज्र के समान घूँसा पड़ते ही उसका हृदय फट गया और वह वहीं मरकर धराशायी हो गया।
इधर जब रावण ने अपने तीनों पराक्रमी वीरों की मृत्यु का समाचार सुना तो उसने अपने तामस नामक अस्त्र से वानरों को भस्म करना आरम्भ कर दिया। रावण को विशाल वानर सेना का संहार करते देख राम और लक्ष्मण अपने-अपने धनुष बाणों को लेकर युद्ध करने के लिये तैयार हुये। सबसे पहले लक्ष्मण ने अपने बाणों से रावण पर आक्रमण किया। रावण लक्ष्मण के बाणों को काटते हुये श्री राम के सामने जा पहुँचा और उन पर बाणों की वर्षा करने लगा। राम ने भी इसका उचित उत्तर दिया और दोनों ओर से भयंकर युद्ध होने लगा। दोनों ही दो भयानक यमराजों की भाँति एक दूसरे से भिड़ रहे थे और नाना प्रकार के अस्त्र-शस्त्रों से आक्रमण कर रहे थे। रावण ने सिंह, बाघ, कंक, चक्रवाक, गीध, बाज, मगर, विषधर जैसे मुख वाले बाणों की वर्षा की तो श्रीराम ने अग्नि, सूर्य, चन्द्र, धूमकेतु, उल्का तथा विद्युत प्रभा के समान बाणों से आक्रमण किया। दोनों ही वीर उन अस्त्रों का निवारण कर नया आक्रमण कर देते थे। कुपित रावण ने दस बाण एक साथ छोड़कर रघुनाथ जी को घायल कर दिया। उसकी चिन्ता न करते हये उन्होंने भी रावण को बुरी तरह से घायल कर दिया।
Note:- इन कहानियों मे प्रयोग की गई सभी तस्वीरों को इंटरनेट से गूगल सर्च और बिंग सर्च से डाउनलोड किया गया है।
Note:-These images are the property of the respective owner. Hindi Nagri doesn’t claim the images.
यह भी पढे –
- लंका दहन – lanka dahan
- रामनवमी – Ram Navami
- कैकेयी द्वारा वरों की प्राप्ति – Kaikeyi’s attainment of grooms
- हनुमान जी का लंका में प्रवेश – Hanuman ji’s entry into Lanka
- चित्रकूट में – in Chitrakoot
सभी कहानियों को पढ़ने के लिए एप डाउनलोड करे/ Download the App for more stories: