बड़ा सोचो – Bada Socho
आज हिन्दी नगरी आपके लाया है एक नई कहानी बड़ा सोचो / Bada Socho।
अक्सर हम बहुत जगह इसीलिए पीछे रह जाते है क्योंकि हमारी सोचने की क्षमता कम होती है और हम बड़ा नहीं सोच पाते। इसीलिए बोला गया है जैसे आप सोचेंगे वैसे बन जाएंगे, तो हमेशा बड़ा सोचे और सफलता की ओर बढ़े।
यह कहानी ऐसे ही एक लड़के की है जो कुछ बड़ा सोच सकता था पर उसकी सोच चोटी होने के कारण वह ज्यादा न सोच सका।
हमे पूर्ण विश्वास है की आप बड़ा सोचेंगे और जीवन मे सफल होंगे।
बड़ा सोचो
अत्यंत गरीब परिवार का एक बेरोजगार युवक नौकरी की तलाश में किसी दूसरे शहर जाने के लिए रेलगाड़ी से सफ़र कर रहा था |
घर में कभी-कभार ही सब्जी बनती थी, इसलिए उसने रास्ते में खाने के लिए सिर्फ रोटिया ही रखी थी |
आधा रास्ता गुजर जाने के बाद उसे भूख लगने लगी, और वह टिफिन में से रोटीयां निकाल कर खाने लगा |
उसके खाने का तरीका कुछ अजीब था , वह रोटी का एक टुकड़ा लेता और उसे टिफिन के अन्दर कुछ ऐसे डालता मानो रोटी के साथ कुछ और भी खा रहा हो, जबकि उसके पास तो सिर्फ रोटीयां थीं।
उसकी इस हरकत को आस पास के और दूसरे यात्री देख कर हैरान हो रहे थे | वह युवक हर बार रोटी का एक टुकड़ा लेता और झूठमूठ का टिफिन में डालता और खाता |
सभी सोच रहे थे कि आखिर वह युवक ऐसा क्यों कर रहा था।
आखिरकार एक व्यक्ति से रहा नहीं गया और उसने उससे पूछ ही लिया की भैया तुम ऐसा क्यों कर रहे हो, तुम्हारे पास सब्जी तो है ही नहीं फिर रोटी के टुकड़े को हर बार खाली टिफिन में डालकर ऐसे खा रहे हो मानो उसमे सब्जी हो |
तब उस युवक ने जवाब दिया, “भैया , इस खाली ढक्कन में सब्जी नहीं है लेकिन मै अपने मन में यह सोच कर खा रहा हू की इसमें बहुत सारा आचार है, मै आचार के साथ रोटी खा रहा हू |”
फिर व्यक्ति ने पूछा , “खाली ढक्कन में आचार सोच कर सूखी रोटी को खा रहे हो तो क्या तुम्हे आचार का स्वाद आ रहा है ?”
“हाँ, बिलकुल आ रहा है , मै रोटी के साथ अचार सोचकर खा रहा हूँ और मुझे बहुत अच्छा भी लग रहा है |”, युवक ने जवाब दिया|
उसके इस बात को आसपास के यात्रियों ने भी सुना, और उन्ही में से एक व्यक्ति बोला , “जब सोचना ही था तो तुम आचार की जगह पर मटर-पनीर सोचते, शाही गोभी सोचते….तुम्हे इनका स्वाद मिल जाता |
तुम्हारे कहने के मुताबिक तुमने आचार सोचा तो आचार का स्वाद आया तो और स्वादिष्ट चीजों के बारे में सोचते तो उनका स्वाद आता |
सोचना ही था तो भला छोटा क्यों सोचे तुम्हे तो बड़ा सोचना चाहिए था |”
सत्य कथन
बड़ा होने के लिए आपको बड़ा सोचना होगा।
You have to think big to be big.