श्लोक 29 – Verse 29
सीदन्ति मम गात्राणि मुखं च परिशुष्यति।
वेपथुश्च शरीरे मे रोमहर्षश्च जायते।।1.29।।
sīdanti mama gātrāṇi mukhaṁ cha pariśhuṣhyati
vepathuśh cha śharīre me roma-harṣhaśh cha jāyate
शब्दों का अर्थ
sīdanti—quivering; mama—my; gātrāṇi—limbs; mukham—mouth; cha—and; pariśhuṣhyati—is drying up
vepathuḥ—shuddering; cha—and; śharīre—on the body; me—my; roma-harṣhaḥ—standing of bodily hair on end; cha—also; jāyate—is happening;
Translations by Teachers (आचार्यो द्वारा अनुवाद):
Swami Ramsukhdas (Hindi)
।।1.28 — 1.30।। अर्जुन बोले – हे कृष्ण! युद्ध की इच्छावाले इस कुटुम्ब-समुदाय को अपने सामने उपस्थित देखकर मेरे अङ्ग शिथिल हो रहे हैं और मुख सूख रहा है तथा मेरे शरीर में कँपकँपी आ रही है एवं रोंगटे खड़े हो रहे हैं। हाथ से गाण्डीव धनुष गिर रहा है और त्वचा भी जल रही है। मेरा मन भ्रमित-सा हो रहा है और मैं खड़े रहने में भी असमर्थ हो रहा हूँ।
Swami Tejomayananda (Hindi)
।।1.28 1.29।।अर्जुन ने कहा — हे कृष्ण ! युद्ध की इच्छा रखकर उपस्थित हुए इन स्वजनों को देखकर मेरे अंग शिथिल हुये जाते हैं, मुख भी सूख रहा है और मेरे शरीर में कम्प तथा रोमांच हो रहा है।
Swami Adidevananda (English)
My limbs have weakened, my mouth has become parched, my body is trembling, and my hairs are standing on end.
Swami Gambirananda (English)
And there is trembling in my body, and my hair stands on end; the Gandiva (bow) slips from my hand and my skin burns intensely.
Swami Sivananda (English)
My limbs fail, my mouth is parched, my body quivers, and my hair stands on end.
Dr. S. Sankaranarayan (English)
I am unable even to stand steady; my mind seems to be confused; and I see adverse omens, O Kesava!
Shri Purohit Swami (English)
My limbs are failing me, my throat is parched, my body is trembling, and my hair is standing on end.