रेलवे प्लेटफार्म का दृश्य – View Of Railway Platform
पिछले वर्ष गर्मी की छुट्टियों में अपने मित्रों के साथ बम्बई से आबू पर्वत जा रहा था|
गाड़ी छूटने के लगभग एक घंटा पहले हम रेलवे स्टेशन पर जा पहुँचे|
स्टेशन के बाहर टैक्सीयां का ताँता लगा हुआ था|
मोटर-गाड़ियाँ रास्ता रोक कर खड़ी थीं|
लाल पगड़ी वाले कुली यात्रियों के पास पहुँचकर सामान उतारने के पहले मजदूरी तय कर रहें थे|
स्टेशन में टिकट घर के सामने तिल धरने की जगह न थी|
प्लेटफार्म पर मानो रंगबिरंगी पोशाक की प्रदर्शनी लगी हुई थी|
अगल-अगल प्रकार की पोशाक वाले लोगों का मेला-सा लगा हुआ था|
कोई दाहिना हाथ अपनी पैण्ट की जेब में डाले हुए बाएँ हाथ से सिगरेट का धुआँ उड़ा रहा था, तो कोई पान वाले को आवाज दे रहा था|
कोई नल पर कुल्ले कर रहा था, कोई जूठे बर्तन धो रहा था|
सभी अपने-अपने रंग में मस्त थे|
‘बाजु’ दूर हटो’ ‘संभाल’ की आवाजें लगाते हुए कुली दौड़-धुप कर रहे थे|
चाय वाले, खोमचे वाले और अन्य फुटकर विक्रेताओं की ‘पुड़ी-साग’, ‘पान-सिगरेट’, ‘पूरी मिठाई’ जैसी आवाज़ों से प्लेटफार्म गूँज रहा था|
टिकट चेकर भी इधर-उधर दौड़-धुप कर रहे थे|
गाड़ी आते ही प्लेटफार्म पर बड़ी हलचल मच गई|
गाड़ी में जगह पाने के लिए कुली और कुछ यात्री चलती हुई गाड़ी में चढ़ने लगे|
कोई दरवाजा खोलने लगा, तो कोई खिड़की से घुसने लगा|
सामान गाड़ी में ढकेला जाने लगा|
डिब्बे से झगड़ने की आवाजें कानों के पर्दे फाड़ने लगीं|
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छोटे बच्चे चील्ला रहे थे|
कोई किसी की नहीं सुन रहा था|
सबको अपनी-अपनी पड़ी थी|
हाँ, आरक्षित डिब्बों में शोरगुल आपेक्षाकृत कम था|
सब यात्री अपने-अपने स्थान पर जम गए और वातावरण कुछ शांत हुआ, तो लोग चाय, थम्सअप, आइसक्रीम आदि का मजा लेने लगे|
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बच्चे खिलौने वाले को पुकार रहे थे|
एक ओर यात्रा पर जा रहें पति-पत्नी का दृश्य बड़ा ही मनमोहक था, तो दूसरी ओर बेटी से बिछुड़ती हुई माँ का दृश्य बड़ा ही ह्रदयद्रावक था|
ऐसी सजीव दुनिया बसी थी प्लेटफार्म पर|
गाड़ी छूटने की सीटी बजते ही ‘शुभयात्रा’, ‘गुड बाई’, पत्र लिखना’ आदि शब्दों से प्लेटफार्म का सारा वातावरण फिर एक बार गूँजा बिदा देने लगे|
न जाने उनके प्यार-भरे हृदय में कैसी हलचल मच रही होगी ?
गाड़ी रवाना हो गई, तब प्लेटफार्म पर आनंद , उत्साह और शोरगुल की जगह सूनापन और शांति का साम्राज्य छा गया|
सचमुच, रेलवे स्टेशन पर एक ही घंण्टे में मानव जीवन के विविध रूपों के दर्शन हो जाते हैं|
हमारे मन में फुर्ती दौड़ जाती है|
मुख्य रूप में रेलवे स्टेशन मिलने और वियोग का अनोखा स्थल है|
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