मेरा पसंदीदा शिक्षक – My Favorite Teacher
यह भी पढे – नकल करना बुरा है – Copying Is Bad
अध्यापक राष्ट्र का निर्माता होता है । प्राचीन काल में गुरु-शिष्य का सम्बंध पिता-पुत्र के समान होता था । हमारे देश में वशिष्ठ, विश्वामित्र एवं द्रोणाचार्य जैसे महान गुरु हुए हैं ।
इनके चरणों में भगवान भी सर झुकाते थे । किन्तु वर्त्तमान युग में न तो एकलव्य जैसे शिष्य हैं, न ही द्रोणाचार्य जैसे गुरु । इसलिए सभी अध्यापक आदर्श अध्यापक नहीं हो सकते । हमारे स्कूल में 25 अध्यापक हैं । सभी विद्वान और आदरणीय हैं । किन्तु मेरे आदर्श अध्यापक श्री दिनेशचंद जी हैं । वे हमें संस्कृत पड़ते हैं ।
यह भी पढे – चोर क्यों रोया? – Why Did The Thief Cry?
श्री दिनेशचंद जी बहुत विद्वान हैं । उन्होंने संस्कृत में शास्त्री की है । वे हिन्दी के भी विद्वान हैं । उनका व्यक्तित्व बहुत प्रभावशाली है । वे हमेशा स्कूल में खादी पहन कर आते हैं । वे बहुत मृदुभाषी हैं और सबसे हमेशा प्यार से बात करते हैं । मैंने कभी उनको गुस्सा करते हुए नहीं देखा ।
वे बहुत अच्छे लेखक और कवि हैं । वह भारतीय संस्कृति के समर्थक हैं किन्तु उदार हैं । वे दूसरे के विचारों का भी सम्मान करते हैं । वह कभी टूशन नहीं पढ़ाते हैं । वह कमजोर और निर्धन छात्रों की सदा मदद करते हैं । दूसरों की सहायता करना अपना कर्त्तव्य समझते हैं । वह निशुल्क विद्या भी दान करते हैं । वह अपने शिष्यों को अपनी संतान की तरह प्यार करते हैं, इस कारण सभी छात्र भी उनको चाहते हैं और पसंद करते हैं । सभी अध्यापक भी उनका बहुत सम्मान करते हैं । मुझे अपने अध्यापक पर बहुत गर्व है कि मुझे श्री दिनेशचंद जी के सानिध्य में ज्ञान ग्रहण करने को मिला ।
Note:- इन कहानियों मे प्रयोग की गई सभी तस्वीरों को इंटरनेट से गूगल सर्च और बिंग सर्च से डाउनलोड किया गया है।
Note:-These images are the property of the respective owner. Hindi Nagri doesn’t claim the images.
यह भी पढे –
- शंकरजी द्वारा अर्जुन को पाशुपत अस्त्र – Pashupat Weapon Given To Arjun By Shankarji
- छोटा बांस, बड़ा बांस – Small Bamboo, Big Bamboo
- शिखि बुद्ध – Shikhi Buddha
- चार दृश्य – Four Scenes
- लक्ष्मीजी की अंगूठी – Lakshmiji’s ring
सभी कहानियों को पढ़ने के लिए एप डाउनलोड करे/ Download the App for more stories: