अब पछताये होत क्या जब चिड़ियाँ चुग गई खेत – Would You Have Regretted Now When The Birds Had Eaten Away The Fields?
एक परिवार था। जिनके पास बहुत बीघा जमीन थी। घर में चार लड़के थे। चारों खेत में मेहनत मजदूरी करके कमाते थे। परिवार बहुत बड़ा था जितना वे मेहनत करते, उतना उन्हें मिलता ना था क्यूंकि खेत में पानी की कमी थी और मौसम की मार पड़ती ही जा रही थी। जिसके कारण खाने तक के लाले थे तो बच्चो की पढाई तो दूर की बात हैं। अगर इस बीच कोई बीमार हो जाए तो गरीबी में आटा गीला जैसी बात हो जायें। परिवार बहुत बड़ा था जिस कारण आपसी लड़ाईया भी बढ़ती जा रही थी वैचारिक मतभेद था सभी अपने खेत के लिए कुछ अलग करके कमाना चाहते थे। जिसे देखकर परिवार के मुखियाँ ने खेत को चार बराबर हिस्सों में बाँट दिया और सभी भाईयों को अपने- अपने परिवार की ज़िम्मेदारी सौंप दी ताकि जिसे जो बेहतर लगे वो करे।
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अकाल की स्थिती थी। ऐसे में चारो परिवार दुखी थे। तब ही एक उद्योगपति गाँव में आया। उसने इन चारो भाईयों के सामने एक प्रस्ताव रखा जिसमे उसने इनकी जमीन मांगी और बदले में जमीन की कीमत के साथ परिवार के जो भी सदस्य काम करना चाहते हैं उन्हें नौकरी का वादा किया।
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दुसरे दिन, छोटे भाई ने सभी को विस्तार से पूरी बात बताई। और कहा कि वो इस प्रस्ताव के लिए तैयार हैं लेकिन बड़े दोनों भाईयों ने इन्कार कर दिया। उन दोनों ने कहा यह पुश्तैनी जमीन हैं। हमारी पूज्यनीय हैं। भूखे मर जायेंगे लेकिन हम जमीन ना देंगे। छोटे भाई ने बहुत समझाया लेकिन वे नहीं माने।
कुछ दिनों बाद, उद्योगपति ने यह प्रस्ताव अन्य खेत के मालिक को दिया। उन लोगो ने विकट परिस्थितियों एवम बच्चो के भविष्य को देखते हुए, प्रस्ताव स्वीकार कर लिया।
कुछ समय बाद, उस जमीन पर एक उद्योग बना। जहाँ कई ग्राम वासियों को नौकरी मिली। साथ ही उस जमीन मालिक को जमीन की कीमत और उसके बच्चो को नौकरी भी मिली। जिससे उन लोगो ने अपना अन्य कारोबार भी शुरू किया और दुसरे शहरों में जमीन भी खरीदी। और उनका जीवन सुधार गया।उन्होंने एक बड़ा सा बंगला बनाया। जिसमे बाग़ को सम्भालने का काम वो चारो करते थे जिन्हें पहले उद्योग का प्रस्ताव मिला था।
एक दिन वो उद्योगपति उस घर में आया और उसने इन चारों को देख कर पहचान लिया और पूछा कैसा चल रहा हैं ?
तब सिर झुकारक कहा साहूकार का कर्ज बढ़ गया था जमीन हाथ से चली गई अब मजदुर और बाग़ का काम करते हैं। उद्योगपति ने कहा- अगर आप मान लेते तो यह दशा ना होती।
उस पर छोटे भाई ने करुण स्वर में कहा – अब पछताये होत क्या जब चिड़ियाँ चुग गई खेत
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