Folk tale stories for Childrens
~Advertisement ~

चिड़िया का दाना – Bird Seed

एक थी चिड़िया चूं-चूं। एक दिन उसे कहीं से दाल का एक दाना मिला। वह गई चक्की के पास और दाना दलने को कहा। कहते-कहते ही वह दाना चक्की में जा गिरा। चिड़िया ने दाना मांगा तो चक्की बोली-
“बढ़ई से चक्की चिरवा ले, अपना दाना वापस पा ले।”

चिड़िया बढ़ई के पास पहुंची। उसने बढ़ई से कहा- “बढ़ई, तुम खूंटा चीरों, मेरी दाल वापस ला दो।” बढ़ई के पास इतना समय कहां था कि वह छोटी-सी चिड़िया की बात सुनता?

यह भी पढे – मेरे पिता – My Father

चिड़िया भागी राजा के पास। राजा घिरा बैठा था चापूलसों से।

उसने चूं-चूं को भगा दिया। वह भागी रानी के पास, रानी सोने की कंघी से बाल बना रही थी। उसने चूं-चूं से कहा। “भूल जा अपना दाना, आ मैं खिलाऊं तुझको मोती।”

“मोती भी भला खाए जाते हैं?

चिड़िया ने सांप से कहा, “सांप-सांप, रानी को डस ले।”

“रानी, राजा को नहीं मनाती
राजा बढ़ई को नहीं डांटता
बढ़ई खूंटा नहीं चीरता
मेरी दाल का दाना नहीं मिलता।”

सांप भी खा-पीकर मस्ती में पड़ा था। उसने सुनी-अनसुनी कर दी। चूं-चूं ने लाठी से कहा- “लाठी-लाठी तोड़ दे सांप की गर्दन।” अरे! यह क्या! लाठी तो उसी पर गिरने वाली थी।

चूं-चूं जान बचाकर भागी आग के पास। आग से बोली- “जरा लाठी की ऐंठ निकाल दो। उसे जलाकर कोयला कर दो।” आग न मानी। चूं-चूं का गुस्सा और भी बढ़ गया। उसने समुद्र से कहा-“इतना पानी तेरे पास, जरा बुझातो इस आग को।” समुद्र तो अपनी ही दुनिया में मस्त था। उसकी लहरों के शोर में चूं-चूं की आवाज दबकर रह गई।

एक हाथी चूं-चूं का दोस्त था मोटूमल। वह भागी-भागी पहुंची उसके पास। मोटूमल ससुराल जाने की तैयारी में था। उसने तो चूं-चूं की राम-राम का जवाब तक न दिया। तब चूं-चूं को अपनी सहेली चींटी रानी की याद आई।

कहते हैं कि मुसीबत के समय दोस्त ही काम में आते हैं। चींटी रानी ने चूं-चूं को पानी पिलाया और अपनी सेना के साथ चल पड़ी। मोटूमल इतनी चींटियों को देखकर डर गया और बोला-“हमें मारे-वारे न कोए, हम तो समुद्र सोखब लोए।” (मुझे मत मारो, मैं अभी समुद्रको सुखाता हूं।)

इसी तरह समुद्र डरकर बोला- “हमें सोखे-वोखे न कोए, हम तो आग बुझाएवे लोए।” और देखते-ही-देखते सभी सीधे हो गए। आग ने लाठी को धमकाया, लाठी सांप पर लपकी, सांप रानी को काटने दौड़ा, रानी ने राजा को समझाया, राजा ने बढ़ई को डांटा, बढ़ई आरी लेकर दौड़ा।

अब तो चक्की के होश उड़ गए। छोटी-सी चूं-चूं ने अपनी हिम्मत के बल पर इतने लोगों को झुका दिया। चक्की आरी देखकर चिल्लाई- “हमें चीरे-वीरे न कोए, हम तो दाना उगलिने लोए।” (मुझे मत चीरों, मैं अभी दाना उगल देती हूं।)

यह भी पढे – बन्दर और सुगरी – Monkey And Sugar

चूं-चूं चिड़िया ने अपना दाना लिया और फुर्र से उड़ गई।

Note:- इन कहानियों मे प्रयोग की गई सभी तस्वीरों को इंटरनेट से गूगल सर्च और बिंग सर्च से डाउनलोड किया गया है।

Note:-These images are the property of the respective owner. Hindi Nagri doesn’t claim the images.

यह भी पढे –

सभी कहानियों को पढ़ने के लिए एप डाउनलोड करे/ Download the App for more stories:

Get it on Google Play