कबीर दुनिया से दोस्ती, होेये भक्ति मह भंग एंका ऐकी राम सो, कै साधुन के संग।
अर्थ : कबीर का कहना है की दुनिया के लोगों से मित्रता करने पर भक्ति में बाधा होती है। या तो अकेले में प्रभु का सुमिरन करो या संतो की संगति करो।
दोहा – 2
कबीर पशु पैसा ना गहै, ना पहिरै पैजार ना कछु राखै सुबह को, मिलय ना सिरजनहार।
अर्थ : कबीर कहते है की पशु अपने पास पैसा रुपया नही रखता है और न ही जूते पहनता है। वह दूसरे दिन प्रातः काल के लिये भी कुछ नहीं बचा कर रखता है। फिर भी उसे सृजन हार प्रभु नहीं मिलते है। वाहय त्याग के साथ विवेक भी आवश्यक है।
दोहा – 3
कबीर माया पापिनी, फंद ले बैठी हाट सब जग तो फंदे परा, गया कबीरा काट।
अर्थ : कबीर कहते है की समस्त माया मोह पापिनी है। वे अनेक फंदा जाल लेकर बाजार में बैठी है। समस्त संसार इस फांस में पड़ा है पर कबीर इसे काट चुके है।
दोहा – 4
कबीर माया डाकिनी, सब काहु को खाये दांत उपारुन पापिनी, संनतो नियरे जाये।
अर्थ : कबीर कहते है की माया डाकू के समान है जो सबको खा जाता है। इसके दांत उखार दो। यह संतो के निकट जाने से ही संभव होगा। संतो की संगति से माया दूर होते है।
दोहा – 5
कबीर माया पापिनी, हरि सो करै हराम मुख कदियाली, कुबुधि की, कहा ना देयी राम।
अर्थ : कबीर कहते है की माया पापिनी है। यह हमें परमात्मा से दूर कर देती है। यक मुंह को भ्रष्ट कर के राम का नाम नहीं कहने देती है।
दोहा – 6
कबीर माया बेसबा, दोनु की ऐक जात आबत को आदर करै, जात ना पुछै बात।
अर्थ : कबीर कहते है की माया और वेश्याकी एक जाति है। आने वालो का वह आदर करती है पर जाने वालों से बात तक नहीं पूछती है।
दोहा – 7
कबीर माया मोहिनी, जैसे मीठी खांर सदगुरु की कृपा भैयी, नाटेर करती भांर।
अर्थ : कबीर कहते है की समस्त माया और भ्रम चीनी के मिठास की तरह आकर्षक होती है। प्रभु की कृपा है की उसने मुझे बरबाद होने से बचा लिया।
दोहा – 8
कबीर माया रुखरी, दो फल की दातार खाबत खर्चत मुक्ति भय, संचत नरक दुआर।
अर्थ : कबीर का कथन है की माया एक बृक्ष की तरह है जो दो प्रकार का फल देती है। यदि माया को अच्छे कार्यों में खर्च किया जाये तो मुक्ति है पर यह संचय करने वाले को नरक के द्वार ले जाती है।
दोहा – 9
कबीर या संसार की, झुठी माया मोह तिहि घर जिता बाघबना, तिहि घर तेता दोह।
अर्थ : कबीर कहते है की यह संसार का माया मोह झूठा है। जिस घर में जितना धन संपदा एवं रंग रेलियाॅं है-वहाॅ उतना ही अधिक दुख और तकलीफ हैै।
दोहा – 10
गुरु को चेला बिश दे, जो गठि होये दाम पूत पिता को मारसी ये माया को काम।
अर्थ : यदि शिष्य के पास पैसा हो तो वह गुरु को भी जहर दे सकता है। पुत्र पिता की हत्या कर सकता है। यही माया की करनी है।
दोहा – 11
खान खर्च बहु अंतरा, मन मे देखु विचार ऐक खबाबै साधु को, ऐक मिलाबै छार।
अर्थ : खाने और खर्च करनक में बहुत अंतर है। इसे मन में विचार कर देखो। एक आदमी संतों को खिलाता है और दुसरा उसे राख में फंेंक देता है। संत को खिलाकर परोपकार करता है और मांस मदिरा पर खर्च कर के धन का नाश करता है।
दोहा – 12
मन तो माया उपजय, माया तिरगुन रुप पंाच तत्व के मेल मे, बंधय सकल स्वरुप।
अर्थ : माया मन में उतपन्न होता है। इसके तीन रुप है-सतोगुण,रजोगुण,तमोगुण। यह पांच तत्वों इंद्रियों के मेल से संपूर्ण बिश्व को आसक्त कर लिया है।
दोहा – 13
माया गया जीव सब,ठाऱी रहै कर जोरि जिन सिरजय जल बूंद सो, तासो बैठा तोरि।
अर्थ : प्रतेक प्राणी माया के सम्मुख हाथ जोड़ कर खरे है पर सृजन हार परमात्मा जिस ने जल के एक बूंद से सबों की सृष्टि की है उस से हमने अपना सब संबंध तोड़ लिया है।
दोहा – 14
माया चार प्रकार की, ऐक बिलसै एक खाये एक मिलाबै राम को, ऐक नरक लै जाये।
अर्थ : माया चार किस्म की होती है। एक तातकालिक आनंद देती है। दूसरा खा कर घोंट जाती है। एक राम से संबंध बनाती है और एक सीधे नरक ले जाती है।
दोहा – 15
माया का सुख चार दिन, काहै तु गहे गमार सपने पायो राज धन, जात ना लागे बार।
अर्थ : माया मोह का सुख चार दिनों का है। रे मूर्ख-तुम इस में तम पड़ो। जिस प्रकार स्वपन में प्राप्त राज्य धन को जाते दिन नहीं लगते है।
दोहा – 16
माया जुगाबै कौन गुन, अंत ना आबै काज सो राम नाम जोगबहु, भये परमारथ साज।
अर्थ : माया जमा करने से कोई लाभ नहीं। इससे अंत समय में कोई काम नहीं होता है। केवल राम नाम का संग्रह करो तो तुम्हारी मुक्ति सज संवर जायेगी।
दोहा – 17
माया दासी संत की, साकट की सिर ताज साकट की सिर मानिनि, संतो सहेली लाज।
अर्थ : माया संतों की दासी और संसारीयों के सिर का ताज होती है। यह संसारी लोगों को खूब नचाती है लेकिन संतो के मित्र और लाज बचाने वाली होती है।
दोहा – 18
आंधी आयी ज्ञान की, ढ़ाहि भरम की भीति माया टाटी उर गयी, लागी राम सो प्रीति।
अर्थ : जब ज्ञान की आंधी आती है तो भ्रम की दीवाल ढ़ह जाती है। माया रुपी पर्दा उड़ जाती है और प्रभु से प्रेम का संबंध जुड़ जाता है।
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