बच्चों आज हिन्दी नगरी आपके लिए लाया है तेनाली राम की एक बहुत ही मजेदार कहानी तेनाली की कला – Tenali Ki Kala।
तेनाली की कला – Tenali Ki Kala
विजयनगर के राजा अपने महल में चित्रकारी करवाना चाहते थे।
इस काम के लिए उन्होंने एक चित्रकार को नियुक्त किया।
चित्रों को जिसने देखा सबने बहुत सराहा पर तेनालीराम को कुछ शंका थी।
एक चित्र की पॄष्ठभूमि में प्राकॄतिक दॄश्य था।
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उसके सामने खडे होकर उसने भोलेपन से पूछा, “इसका दूसरा पक्ष कहां हैं?
इसके दूसरे अंग कहां हैं?” राजा ने हंसकर जवाब दिया, “तुम इतना भी नहीं जानते कि उनकी कल्पना करनी होती हैं।”
तेनालीराम ने मुंह बिदकाते हुए कहा, “तो चित्र ऐसे बनते हैं! ठीक हैं, मैं समझ गया।”
कुछ महीने बाद तेनालीराम ने राजा से कहा, “कई महीनों से मैं दिन-रात चित्रकला सीख रहा हूं। आपकी आज्ञा हो तो मैं राज महल की दीवारों पर कुछ चित्र बनाना चाहता हूं।”
राजा ने कहा, “वाह! यह तो बहुत अच्छी बात हैं। ऐसा करो, जिन भित्तिचित्रों के रंग उड गए हैं उनको मिटाकर नए चित्र बना दो।”
तेनालीराम ने पुराने चित्रों पर सफेदी पोती और उनकी जगह अपने अए चित्र बना दिए।
उसने एक पांव यहां बनाया, एक आंख वहां बनाई और एक अंगुली कहीं और।
शरीर के भिन्न-भिन्न अंगों के चित्रों से उसने दीवारों को भर दिया। चित्रकारी के बाद राजा को उसकी कला देखने के लिए निमंत्रित किया।
महल की दीवारों पर असंबद्ध अंगो के चित्र देख राजा को बहुत निराशा हुई।
राजा ने पूछा, “यह तुमने क्या किया? तस्वीरें कहां हैं?”
तेनालीराम ने कहा, “चित्रों में बाकी चीजों की कल्पना करनी पडती हैं। आपने मेरा सबसे अच्छा चित्र तो अभी देखा ही नहीं।”
यह कहकर वह राजा को एक खाली दीवार के पास ले गया जिस पर कुछेक हरी-पीली लकीरें बनी थी।
“यह क्या हैं?” राजा ने चिढकर पूछा।
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“यह घास खाती गाय का चित्र हैं।” “लेकिन गाय कहां हैं?” राजा ने पूछा।
“गाय घास खाकर अपने बाडे में चली गई।” ये कल्पना कर लीजिए हो गया न चित्र पूरा।
राजा उसकी बात सुनकर समझ गया कि आज तेनालीराम ने उस दिन की बात का जवाब दिया हैं।
Note:- इन कहानियों मे प्रयोग की गई सभी तस्वीरों को इंटरनेट से गूगल सर्च और बिंग सर्च से डाउनलोड किया गया है।
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