सुगम्य भारत अभियान – Accessible India Campaign
सुगम्य भारत अभियान पहल समाज के विकलांग व्यक्तियों को मजबूती प्रदान करने के लिये शुरु की गयी है। ये आसानी से सभी सार्वजनिक स्थानों का उपयोग करने के लिए उन्हें सक्षम बनाना है। ये अभियान सुलभ भारत अभियान (एक्सेसिबल इंडिया कैंपेन) के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि ये विकलांग लोगों के लिये समान सुविधाओं के लिए आसान पहुँच प्रदान करता है। ये कदम भारत सरकार द्वारा विकलांग लोगों द्वारा झेली जा रही बड़ी समस्या को हल करने के लिए लिया गया है। ये अभियान पूर्ण गरिमा के साथ शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य देखभाल, परिवहन, खेल, मनोरंजन, और कई और अधिक के समान अवसर उपलब्ध कराने के लिये विकलांग लोगों के लिए सार्वभौमिक पहुँच प्राप्त करने के उद्देश्य से शुरु किया गया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने भाषण में विकलांग व्यक्तियों को दिव्यांग (असाधारण क्षमताओं के लोग) कहकर संबोधित किया था न कि विकलांग।
सुगम्य भारत अभियान क्या हैं
सुगम्य भारत अभियान भौतिक वातावरण को विकलांगों के लिये सुलभ, सहज और सहने योग्य बनाने के उद्देश्य से शुरु किया गया है। ये विकलांग लोगों के लिए सार्वजनिक स्थानों, परिवहन, सूचना और संचार प्रौद्योगिकी की पहुंच के साथ-साथ प्रयोज्य (उपयोग को) बढ़ाने के लिए है।
सुगम्य भारत अभियान के लक्ष्य
इस अभियान के प्रमुख लक्ष्य निम्नलिखित हैं:
इस कार्यक्रम के बारे में लोगों के बीच जागरूकता फैलाने के लिए ऑनलाइन वेब पोर्टलों और मोबाइल अनुप्रयोग विकसित करना।
ऑनलाइन वेबसाइटों और मोबाइल एप्लिकेशन के उपयोग के माध्यम से इस अभियान के बारे में अपने दृष्टिकोणों और विचारों को अपलोड करने के लिए आम जनता को सक्षम करने के लिए।
लिफ्टों, रैंप, शौचालय, और साइनेज (वाणिज्यिक या सार्वजनिक प्रदर्शन के संकेत) के निर्माण से विकलांग व्यक्तियों के लिए पूरी तरह से सुलभ हवाई अड्डों, रेलवे स्टेशनों, और मेट्रो बनाने के लिए।
जुलाई 2016 तक लगभग 75 महत्वपूर्ण रेलवे स्टेशनों और सभी हवाई-अड्डों को सुलभता के मानकों के साथ ही साथ जुलाई 2019 तक लगभग 200 पूल सांकेतिक दुभाषियों के मानकों को प्राप्त करना।
इस अभियान में समर्थन करने के लिए सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों और निगमों को आडिट और परिवर्तन के लिए आमंत्रित करना।
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महाराष्ट्र के चार प्रमुख शहरों (मुम्बई, नागपुर, पुणे और नासिक) को पूरी तरह से विकलांगों के अनुकूल बनाना।
विकलांगों के लिये आन्तरिक और बाहरी सुविधाओं (जैसेः स्कूलों, कार्यस्थलों, चिकित्सा सुविधाएं, फुटपाथों, परिवहन व्यवस्था, भवनों, सूचना और संचार प्रौद्योगिकी, आदि) के बारे में बाधाओं और अवरोधों को खत्म करना।
इस अभियान के सफल होने की संभावनाएं
इस अभियान को सही दिशा में कार्यान्वित करने के लिये सरकार द्वारा कार्य योजना तैयार की गयी हैं। यहाँ इस पहल की कार्य-योजना के कुछ संकेत दिये गये हैं:
विभिन्न कार्यशालाओं को जोनल जागरूकता के लिए प्रमुख हितधारकों को अवगत करने के लिये आयोजित किए जाने की योजना बनाई गई है, (सरकारी अधिकारियों, आर्किटेक्ट, रियल एस्टेट डेवलपर्स, इंजीनियर, छात्रों आदि सहित)।
सुगम्यता के मुद्दे के बारे में ब्रोशर, शैक्षिक पुस्तिकाएं और वीडियो बनाने और वितरित करने के लिए योजना बनाई गयी है।
पब्लिक से सार्वजनिक दुर्गम स्थानों, सुलभ शौचालयों, रैम्पों आदि के बारे में सूचना प्राप्त करने के लिये वेब पोर्टल और मोबाइल एप्लिकेशन को (हिन्दी, अंग्रेजी और अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में) सोर्सिंग मंच के रुप में बनाया जायेगा।
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सीएसआर (निगमित सामाजिक दायित्व) संसाधनों को सुलभ इमारतों और परिवहन साधन बनाने के लिए श्रंखलित किया जाएगा।
इस सन्दर्भ में की गयी कार्य-योजना शारीरिक सुलभता को प्रदर्शित करेगी जो शिक्षा, रोजगार और आजीविका में वृद्धि करेगी।
कार्य-योजना बन चुकी हैं और ये विकलांग और असक्षम लोगों की उत्पादकता के साथ ही साथ देश के लिये आर्थिक सहयोग में वृद्धि करने के लिये बहुत जल्द लागू भी हो जायेगी। इस अभियान के सफल और प्रगतिशील होने में कोई भी संदेह नहीं है। ये वास्तविकता में अपनी कार्य-योजना के अनुसार सभी लक्ष्यों और उद्देश्यों की प्राप्ति करेगा।
निष्कर्ष
भारत को स्वतंत्र हुये बहुत साल बीत गये हांलाकि, हम ये नहीं कह सकते कि भारत के लोग आत्मनिर्भर हैं क्योंकि विकलांग या शारीरिक रुप से असक्षम व्यक्ति आज भी अपने माता-पिता और परिवार के लोगों पर निर्भर हैं या अपनी बहुत सी आधारभूत क्रियाओं के लिये अपने देखभाल करने वालों पर निर्भर हैं। विकलांग लोग आज भी पिछड़े हुये हैं क्योंकि वो सार्वजनिक स्थानों, भवनों, कार्यालयों, स्कूलों, सड़कों, रेलवे स्टेशनों, हवाई-अड्डों, मेट्रों आदि तक उनकी पहुँच नहीं है। वो शारीरिक रुप से अपनी व्हील चैयर को इस तरह के स्थानों पर नहीं ले जा सकते। समाज का एक होनहार व्यक्ति होने के बाद भी उनका जीवन बहुत कम स्थानों तक सीमित होता है। यह पहल सच में विकलांगता के किसी भी प्रकार से पीड़ित सभी व्यक्तियों के लिए बहुत उपयोगी साबित होगी। यह उन्हें बहुत आसानी से सभी सुविधाओं तक पहुँचने के द्वारा आगे जाने के लिए समान अवसर प्रदान करेगी। इस अभियान के माध्यम से, वो अपने कैरियर को विकसित कर सकते हैं, आत्मनिर्भर हो सकते है और साथ ही साथ देश की अर्थव्यवस्था में भी योगदान कर सकते हैं।
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