मिलावट – एक महारोग – Adulteration – A Great Disease
मिलावट से अभिप्राय है कि प्राकृतिक तत्वों व पदार्थो में बाहरी , बनावटी या अन्य प्रकार के तत्त्वों व् पदार्थो का मिश्रण कर देना |
यह घृणित कार्य स्वार्थी स्वभाव वाले व्यापारी वर्ग से सम्बन्धित लोगो का है जो अधिक से –अधिक मुनाफा कमा कर रातो- रात धनवान बन जाना चाहते है |
ऐसे कार्यो का दुष्परिणाम कितना घातक व कितना जान – लेवा तक हो सकता है , इसका अनुमान नही लगाया जा सकता है |
देखा जाता है कि आज शायद ही बाजार में कोई चीज शुद्ध मिलती हो |
पहले तो हम केवल दूध पानी व शुद्ध घी में चबी या वनस्पति घी ही मिलाने की बात सुना करते थे , परन्तु आज तो प्रत्येक वस्तु मिलावट वाली हो गई है |
आजकल स्वार्थी लोग सीमेन्ट में रख, चाय में रगा हुआ लकड़ी का बुरादा , जीरे में घोड़े की लीद, खाने के रंगो में लाल- पिली मिट्टी मिलाने लगे है |
यहाँ तक कि अब तो सरसों व अन्य खाद्द तेलों में दुसरे अखाद्द तेल मिलाए जाने लगे है जिन्हें खाकर हजारो आदमी अन्धे , अपंग और रोगी बन चुके है |
दूध और कुल्फी आदि में स्याही चूस मसलकर मिला दिया जाता है |
बीमारों को दी जाने वाली दवाइयों के नाम पर उन्हें चाक के टुकड़े , मैदे की गोलियां तथा मिट्टी भरे कैप्सूल दिए जा रहे है |
इन्जैकशनो में दवाइयों की जगह पानी भरा जा रहा है |
मिलावटी मदिरा और मृत्संजीवनी के नाम पर तेजाब – वारनिश पीने से आज देश में प्रतिदिन हजारो मौते हो जाती है |
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आज देश में मिलावट के अनेक रूप प्रचलित है , जैसे बढिया वस्तु में घटिया वस्तु मिलाकर उसका मूल्य बढिया व्स्तुवाला प्राप्त करना, गेहूँ – चावल आदि अनाजो मै मिट्टी या कंकड़- पत्थर मिलाना |
डिब्बाबन्द वस्तुओ पर ऊपर तो ‘एक्मार्क’ या आई.एस.आई. का मार्क लगा रहता है जबकि अन्दर सडा हुआ पदार्थ निकलता है |
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अब प्रश्न यह है कि इस प्रकार के अमानवीय , मानव के प्राणों के मूल्य पर , तथा उसके स्वास्थ्य की कीमत पर होने वाली मिलावट जैसे महारोग का क्या इलाज है ?
कई अन्य देशो में तो इसकी सजा फाँसी तक निर्धारित की गई है |
परन्तु अहिसवादी , धर्म – परायण और नैतिकता की कोई प्रतिकार या इलाज तब तक संभव नही है जब तक आत्मविश्वास , संकल्पशक्ति और वास्तविक जन-हित की भावना से ओत-प्रोत राजनेता इस देश की धरती पर उत्पत्र नही होते |
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