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अंधा घोड़ा – Andha Ghora

आज हिन्दी नगरी आपके लिए लाया है एक नई कहानी अंधा घोड़ा / Andha Ghora ।

इस संसार मे हम हमेशा किसी न किसी की मदद लेते रहते है जैसे खाना खाने के लिए किसान की जो उस खाने को खेती करके उगता है या फिर अगर हमे कही जाना होता है तो ऑटो / बस की मदद लेते है । उसी प्रकार हमे भी जब भी हो सके दूसरों की मदद के लिए आगे आना चाहिए ।

यह कहानी एक अंधे घोड़े की है जहॉ उसका घोड़ा मित्र और उसका मालिक उसकी सहायता करते है।

हमे पूरा भरोसा है कि इस कहानी को पढ़कर आपके अंदर भी दूसरों की मदद करने की सद्भावना जाग्रत होगी और जब भी किसी की मदद की जरूरत होगी आप आगे बढ़कर उसकी मदद करेंगे ।

अंधा घोड़ा

शहर के नज़दीक बने एक फार्म हाउस में दो घोड़े रहते थे।

दूर से देखने पर वो दोनों बिलकुल एक जैसे दीखते थे , पर पास जाने पर पता चलता था कि उनमे से एक घोड़ा अँधा है।

पर अंधे होने के बावजूद फार्म के मालिक ने उसे वहां से निकाला नहीं था बल्कि उसे और भी अधिक सुरक्षा और आराम के साथ रखा था।

अगर कोई थोडा और ध्यान देता तो उसे ये भी पता चलता कि मालिक ने दूसरे घोड़े के गले में एक घंटी बाँध रखी थी, जिसकी आवाज़ सुनकर अँधा घोड़ा उसके पास पहुंच जाता और उसके पीछे-पीछे बाड़े में घूमता।

घंटी वाला घोड़ा भी अपने अंधे मित्र की परेशानी समझता, वह बीच-बीच में पीछे मुड़कर देखता और इस बात को सुनिश्चित करता कि कहीं वो रास्ते से भटक ना जाए।

वह ये भी सुनिश्चित करता कि उसका मित्र सुरक्षित; वापस अपने स्थान पर पहुच जाए, और उसके बाद ही वो अपनी जगह की ओर बढ़ता।

दोस्तों, बाड़े के मालिक की तरह ही भगवान हमें बस इसलिए नहीं छोड़ देते कि हमारे अन्दर कोई दोष या कमियां हैं।

वो हमारा ख्याल रखते हैं और हमें जब भी ज़रुरत होती है तो किसी ना किसी को हमारी मदद के लिए भेज देते हैं।

कभी-कभी हम वो अंधे घोड़े होते हैं, जो भगवान द्वारा बांधी गयी घंटी की मदद से अपनी परेशानियों से पार पाते हैं तो कभी हम अपने गले में बंधी घंटी द्वारा दूसरों को रास्ता दिखाने के काम आते हैं।

सत्य कथन

दूसरों की मदद करना जिस तरह से हम खुद की मदद करते हैं।

Helping others is the way we help ourselves.