बोले हुए शब्द वापस नहीं आते -Bole Hue shabd wapas nahi aate
आज हिन्दी नगरी आपके लिए लाया है एक नई कहानी बोले हुए शब्द वापस नहीं आते / Bole Hue sabda wapas nahi aate।
हम सबके साथ यह अक्सर होता है कि हम जब क्रोध मे होते है तब हम दूसरों को बिना कुछ सोचे भला बुरा बोल देते है और जब हमारा क्रोध शांत होता है तब हमे उसका पछतावा होता है कि हमने अनजाने मे ही दूसरों का दिल दुखया है ।
यह कहानी ऐसे ही एक किसान की है जो अपने पड़ोसी को भला बुरा बोलत है और बाद मे उसे इसका पछतावा होता है ।
हमे पूरा भरोसा है की यह कहानी आपको बतयेगी कि हमे अपने गुस्से पर काबू रखना चाहिए जिससे हम दूसरों को काभी भी भला बुरा न बोले और हमे बाद पछताना न पड़े।
बोले हुए शब्द वापस नहीं आते।
एक बार एक किसान ने अपने पडोसी को भला बुरा कह दिया, पर जब बाद में उसे अपनी गलती का एहसास हुआ तो वह एक संत के पास गया।
उसने संत से अपने शब्द वापस लेने का उपाय पूछा.
संत ने किसान से कहा , ” तुम खूब सारे पंख इकठ्ठा कर लो , और उन्हें शहर के बीचो-बीच जाकर रख दो ।
किसान ने ऐसा ही किया और फिर संत के पास पहुंच गया.
तब संत ने कहा , अब जाओ और उन पंखों को इकठ्ठा कर के वापस ले आओ।
किसान वापस गया पर तब तक सारे पंख हवा से इधर-उधर उड़ चुके थे और किसान खाली हाथ संत के पास पहुंचा।
तब संत ने उससे कहा कि ठीक ऐसा ही तुम्हारे द्वारा कहे गए शब्दों के साथ होता है।
तुम आसानी से इन्हें अपने मुख से निकाल तो सकते हो पर चाह कर भी वापस नहीं ले सकते।
सत्य कथन
दो बाते अनंत है ; एक ब्रह्मांड और दूसरी मनुष्य की मूर्खता। और मैं ब्रह्मांड की अनंतता पर पक्का नहीं हु।
Two things are infinite: the universe and human stupidity; and I’m not sure about the universe.