Bhagavad Gita
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श्लोक 5 – Verse 5

धृष्टकेतुश्चेकितानः काशिराजश्च वीर्यवान्।
पुरुजित्कुन्तिभोजश्च शैब्यश्च नरपुङ्गवः।।1.5।।

dhṛiṣhṭaketuśhchekitānaḥ kāśhirājaśhcha vīryavān
purujit kuntibhojaśhcha śhaibyaśhcha nara-puṅgavaḥ
yudhāmanyuśhcha vikrānta uttamaujāśhcha vīryavān

शब्दों का अर्थ

dhṛiṣhṭaketuḥ—Dhrishtaketu; chekitānaḥ—Chekitan; kāśhirājaḥ—Kashiraj; cha—and; vīrya-vān—heroic; purujit—Purujit; kuntibhojaḥ—Kuntibhoj; cha—and; śhaibyaḥ—Shaibya; cha—and; nara-puṅgavaḥ—best of men; yudhāmanyuḥ—Yudhamanyu; cha—and; vikrāntaḥ—courageous; uttamaujāḥ—Uttamauja; cha—and; vīrya-vān—gallant;

Translations by Teachers (आचार्यो द्वारा अनुवाद):

Swami Ramsukhdas (Hindi)

।।1.4 — 1.6।। यहाँ (पाण्डवों की सेना में) बड़े-बड़े शूरवीर हैं, जिनके बहुत बड़े-बड़े धनुष हैं तथा जो युद्ध में भीम और अर्जुनके समान हैं। उनमें युयुधान (सात्यकि), राजा विराट और महारथी द्रुपद भी हैं। धृष्टकेतु और चेकितान तथा पराक्रमी काशिराज भी हैं। पुरुजित् और कुन्तिभोज–ये दोनों भाई तथा मनुष्योंमें श्रेष्ठ शैब्य भी हैं। पराक्रमी युधामन्यु और पराक्रमी उत्तमौजा भी हैं। सुभद्रापुत्र अभिमन्यु और द्रौपदी के पाँचों पुत्र भी हैं। ये सब-के-सब महारथी हैं।
 

Swami Tejomayananda (Hindi)

।।1.5।।धृष्टकेतु, चेकितान, बलवान काशिराज,  पुरुजित्, कुन्तिभोज और मनुष्यों में श्रेष्ठ शैब्य।

 

Swami Adidevananda (English)

Dhrstaketu, Cekitana, the valiant king of Kasi, Purujit, Kuntibhoja, and Saibya, the best among men;

Swami Gambirananda (English)

Dhrstaketu, Cekitana, and the valiant king of Kasi (Varanasi); Purujit, Kuntibhoja, and Saibya, the choicest of men;

Swami Sivananda (English)

Dhrishtaketu, Chekitana, the valiant king of Kasi, Purujit, Kuntibhoja, and Saibya—the best of men.

Dr. S. Sankaranarayan (English)

Dhrstaketu, Cekitana, the valorous king of Kasi, Kuntibhoja, the conqueror of many, and the Sibi king, the best among men;

Shri Purohit Swami (English)

Dhrishtaketu, Chekitan, the valiant king of Benares, Purujit, Kuntibhoja, and Shaibya—a master of many.