Bhagavad Gita
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श्लोक 4 – Verse 4

मया ततमिदं सर्वं जगदव्यक्तमूर्तिना।
मत्स्थानि सर्वभूतानि न चाहं तेष्ववस्थितः।।9.4।।

mayā tatam idaṁ sarvaṁ jagad avyakta-mūrtinā
mat-sthāni sarva-bhūtāni na chāhaṁ teṣhvavasthitaḥ

शब्दों का अर्थ

mayā—by me; tatam—pervaded; idam—this; sarvam—entire; jagat—cosmic manifestation; avyakta-mūrtinā—the unmanifested form; mat-sthāni—in me; sarva-bhūtāni—all living beings; na—not; cha—and; aham—I; teṣhu—in them; avasthitaḥ—dwell

Translations by Teachers (आचार्यो द्वारा अनुवाद):

Swami Ramsukhdas (Hindi)

।।9.4 — 9.5।। यह सब संसार मेरे निराकार स्वरूपसे व्याप्त है। सम्पूर्ण प्राणी मेरेमें स्थित हैं; परन्तु मैं उनमें स्थित नहीं हूँ तथा वे प्राणी भी मुझ में स्थित नहीं हैं — मेरे इस ईश्वर-सम्बन्धी योग-(सामर्थ्य-) को देख ! सम्पूर्ण प्राणियोंको उत्पन्न करनेवाला और उनका धारण, भरण-पोषण करनेवाला मेरा स्वरूप उन प्राणियोंमें स्थित नहीं है।

Swami Tejomayananda (Hindi)

।।9.4।। यह सम्पूर्ण जगत् मुझ (परमात्मा) के अव्यक्त स्वरूप से व्याप्त है; भूतमात्र मुझमें स्थित है, परन्तु मैं उनमें स्थित नहीं हूं।।
 

Swami Adidevananda (English)

This entire universe is pervaded by Me, in an unmanifest form. All beings abide in Me, but I do not abide in them.

Swami Gambirananda (English)

This whole world is pervaded by Me in My unmanifest form. All beings exist in Me, but I am not contained within them!

Swami Sivananda (English)

All of this world is pervaded by Me in My unmanifest aspect; all beings exist within Me, but I do not dwell within them.

Dr. S. Sankaranarayan (English)

This entire universe is pervaded by Me, having an unmanifest form; all beings exist in Me, and I do not exist in them.

Shri Purohit Swami (English)

The whole world is pervaded by Me, yet My form is not visible. All living beings have their being in Me, yet I am not confined by them.