जंजीर – Chain
एक प्राचीन कहानी मुझे सदा प्रीतिकर रही है। यूनान में ऐसा हुआ, हमला हुआ और एथेंस के सारे प्रतिष्ठित लोग पकड़ लिए गए। सौ प्रतिष्ठित लोगों को जंजीरों में बांध कर, बेड़ियां पहना कर जंगलों में फेंक दिया गया कि जंगली जानवर खा जाएं। उन सौ प्रतिष्ठित लोगों में गांव का सबसे प्रतिष्ठित लुहार भी था। वह इतना प्रतिष्ठित लुहार था कि दूर-दूर देशों तक उसका नाम था। उसकी चीजें लाजवाब थीं। वह जो बनाता था वह लाजवाब था। उसकी बनाई चीज टूटती नहीं थी। उसकी बनाई गई जंजीरें कोई तोड़ नहीं सकता था। और सारे लोग तो दुखी थे, बाकी निन्यानबे लोग तो दुखी थे जब उन्हें ले जाने लगे दुश्मन जंगल की तरफ, लेकिन वह लुहार गीत गुनगुना रहा था। उनमें से किसी ने पूछा कि तू हंस रहा है, गीत गा रहा है, पागल हो गया है?
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मरने की तरफ हम जा रहे हैं! तू होश में है?
उसने कहा, मैं लुहार हूं। जीवन भर मैंने जंजीरें बनाई हैं, बेड़ियां बनाई हैं। जो बना सकता है, वह मिटा भी सकता है। घबड़ाओ मत! मैं अपनी जंजीरें ही नहीं तोड़ लूंगा, तुम्हारी भी तोड़ दूंगा। तुम चिंता न करो। एक दफा इनको हमें फेंक कर चले जाने दो, बस। मैं इसकी ही प्रतीक्षा कर रहा हूं कि कब हमें ये फेंक दें जंगल में और जाएं। देर न लगेगी! सब में हिम्मत आ गई। सब में साहस आ गया। दुश्मन उन्हें जंगल में छोड़ कर भाग गए। बचने की उनकी कोई उम्मीद न थी, रात होने के करीब थी और जंगली जानवर उन्हें खा जाएंगे। सारे लोग घसिट कर इकट्ठे हो गए लुहार के पास। और लुहार रोने लगा, उसकी आंखों से आंसू गिरने लगे। उन्होंने कहा, हुआ क्या?
अभी तुम गीत गाते थे, अब तुम रोते क्यों हो?
उसने कहा कि नहीं, ये जंजीरें टूटेंगी नहीं। ये तो मेरी ही बनाई हुई जंजीरें हैं। इन्हें तो कोई तोड़ ही नहीं सकता। मैं भी नहीं तोड़ सकता। इन पर तो मेरे हस्ताक्षर हैं। उसकी आदत थी कि अपनी हर बनाई चीज पर हस्ताक्षर कर देता था। उसने अपनी जंजीरें बताईं, उसने कहा कि इनका तोड़ना असंभव है। मैं तो बनाता ही नहीं ऐसी चीज जो टूट सके। तुम सोचते हो, उस दिन उस लुहार की कैसी मनोदशा हुई होगी?
अपनी ही जंजीरों में बंध कर मरना पड़ा। और यही दशा सबकी है। अपनी ही जंजीरों में बंध कर तुम सड़ रहे हो, मर रहे हो, मरोगे। लेकिन इतना मैं तुमसे कहता हूं कि तुम्हारी जंजीरें इतनी मजबूत नहीं, क्योंकि तुम लुहार भी इतने कुशल नहीं। जंजीरें तोड़ी जा सकती हैं। तुम्हारी जंजीरें भी बस ऐसी ही हैं! कामचलाऊ हैं। तुम्हारा सभी कुछ कामचलाऊ है। टीम-टाम है। तुम्हारी जंजीरें टूट सकती हैं। और तुमने ही उन्हें बनाया है, इसलिए जिस दिन तुम बनाना बंद कर दोगे, उनका टूटना शुरू हो जाएगा। और तुम्हारे ऊपर से अस्वाभाविकता की जंजीरें गिर जाएं, तो प्रेम का झरना फूट पड़े। -ओशो”
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