ग्लोबलाइजेशन – globalization
वैश्विकरण (ग्लोबलाइजेशन) अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर अन्तर्राष्ट्रीय खिलाड़ियों के लिए व्यवसाय को बढ़ाने, तकनीकी वृद्धि, अर्थव्यवस्था में सुधार करने आदि का तरीका है। इस तरह से, निर्माणकर्ता या उत्पादक अपने उत्पादों या वस्तुओं को पूरे विश्व में बिना किसी बाधा के बेच सकते हैं। यह व्यवसायी या व्यापारी को बड़े स्तर पर लाभ प्रदान करता है, क्योंकि उन्हें ग्लोबलाइजेशन (वैश्विकरण) के माध्यम से गरीब देशों में आसानी से कम कीमत पर मजदूर मिल जाते है। यह कम्पनियों को बड़े स्तर वैश्विक बाजार में अवसर प्रदान करता है। यह किसी भी देश को भागीदारी, मिश्रित कारखानों की स्थापना, समता अंशों में निवेश, उत्पादों या किसी भी देश की सेवाओं का विक्रय आदि करने की सुविधा प्रदान करता है।
ग्लोबलाइजेशन या वैश्विकरण कैसे काम करता है
यह भी पढे – धनतेरस की कहानी – Dhanteras story
वैश्विकरण (ग्लोबलाइजेशन) पूरे विश्व के बाजार को एक बाजार मानने में मदद करता है। व्यापारी व्यवसाय के क्षेत्र को संसार को एक वैश्विक गाँव मानकर बढ़ाते हैं। 1990 के दशक से पहले, भारत में कुछ निश्चित उत्पादों का आयात करने पर रोक थी, जिनका निर्माण पहले से ही भारत में किया जाता था; जैसे- कृषि उत्पाद, इंजीनियरिंग वस्तुएं, खाद्य वस्तुएं आदि। यद्यपि, 1990 के दशक में धनी देशों का विश्व व्यापार संगठन, विश्व बैंक और अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष पर गरीब और विकासशील देशों में अपने व्यवसाय को फैलाने के लिए दबाव था। भारत में उदारीकरण और वैश्विकरण की शुरुआत 1991 में संघीय वित्त मंत्री (मनमोहन सिंह) द्वारा की गयी थी।
बहुत सालों के बाद, वैश्विकरण (ग्लोबलाइजेशन) के कारण भारतीय बाजार में मुख्य क्रान्ति आई, जब बहुत से बहुराष्ट्रीय ब्रांड़ों ने, जैसे – पेप्सीको, के.एफ.सी, मैक-डोनल्ड, आई.बी.एम, नोकिया आदि ने भारत में सस्ती कीमत पर विभिन्न विस्तृत गुणवत्ता के उत्पादों की बिक्री की। सभी नेतृत्वकर्ता ब्रांडों ने वैश्विकरण या ग्लोबलाइजेशन की वास्तविक क्रान्ति को प्रदर्शित किया, जिसके परिणामस्वरुप यहाँ आद्यौगिकीकरण और अर्थव्यवस्था में चौकाने वाली वृद्धि हुई। बाजार में गला काट प्रतियोगिता के कारण गुणवत्ता वाले उत्पादों की कीमत कम हो गई।
भारतीय बाजार में व्यवसायों के वैश्विकरण, ग्लोबलाइजेशन और उदारीकरण ने गुणवत्तापूर्ण विदेशी उत्पादों की बाढ़ सी आ गई हालांकि, इसने स्थानीय भारतीय बाजार को बहुत अधिक प्रभावित किया। इसके परिणामस्वरुप गरीब और अनपढ़ भारतीय कामगारों की नौकरी चली गई। ग्लोबलाइजेशन (वैश्विकरण) सभी उपभोक्ताओं के लिए बहुत अधिक लाभदायक है हालांकि, छोटे स्तर के भारतीय उत्पादकों के लिए बहुत ही हानिकारक है।
वैश्विकरण (ग्लोबलाइजेशन) के सकारात्मक प्रभाव
वैश्विकरण या ग्लोबलाइजेशन ने भारतीय विद्यार्थियों और शिक्षा के क्षेत्र को इंटरनेट के माध्यम से विदेशी विश्वविद्यालयों को भारतीय विश्वविद्यालयों से जोड़ा है, जिसके कारण शिक्षा के क्षेत्र में बहुत बड़ी क्रान्ति आई है।
वैश्विकरण या ग्लोबलाइजेशन के द्वारा स्वास्थ्य क्षेत्र भी प्रभावित हुआ है, इसके कारण सामान्य दवाईयाँ, स्वास्थ्य को नियमित करने वाली विद्युत मशीन आदि से उपलब्ध हो जाती है।
ग्लोबलाइजेशन या वैश्विकरण ने कृषि क्षेत्र में विभिन्न प्रकार के बीजों की किस्मों को लाकर उत्पादन को बड़े स्तर पर प्रभावित किया। यद्यपि, यह महँगे बीजों और कृषि तकनीकियों के कारण गरीब भारतीय किसानों के लिए अच्छा नहीं है।
यह रोजगार क्षेत्र में भी व्यापार, जैसे; लघु उद्योग, हाथ के कारखानें, कॉरपेट, ज्वैलरी और काँच के व्यवसाय आदि को बढ़ाने के माध्यम से, बड़े स्तर पर क्रान्ति लाया है।
निष्कर्ष:
वैश्विकरण (ग्लोबलाइजेशन) वहन करने योग्य कीमत पर गुणवत्ता पूर्ण विभिन्न उत्पादों लाने और विकसित देशों के साथ ही बड़ी जनसंख्या को रोजगार प्रदान किया है। यद्यपि, इसने प्रतियोगिता, अपराध, राष्ट्र विरोधी गतिविधियों, आतंकवाद आदि को बढ़ाया है। इसलिए, यह खुशियों के साथ कुछ दुखों को भी लाता है।
यह भी पढे – लौहजंघ की कथ – legend of iron thighs
Note:- इन कहानियों मे प्रयोग की गई सभी तस्वीरों को इंटरनेट से गूगल सर्च और बिंग सर्च से डाउनलोड किया गया है।
Note:-These images are the property of the respective owner. Hindi Nagri doesn’t claim the images.
यह भी पढे –
- हनुमान: बालपन, शिक्षा एवँ शाप – Hanuman: childhood, education and curse
- निरमंड आये परशुर – Nirmand came to Parashur
- किरात से युद्ध – war with Kirat
- भगवान विष्णु जी और नारद मुनि जी – Lord Vishnu and Narad Muni Ji
- पाण्डवों तथा कौरवों का जन्म – Birth of Pandavas and Kauravas
सभी कहानियों को पढ़ने के लिए एप डाउनलोड करे/ Download the App for more stories: