Folk tale stories for Childrens
~Advertisement ~

स्वर्ग का चाचा – Heaven’S Uncle

बहुत पहले की बात है। धरती पर दो सालों तक बिलकुल वर्षा नहीं हुई। अकाल पड़ गया। अपने तालाब को सूखता देख कर मेढ़क को चिंता हुई। उसने सोचा, अगर ऐसा रहा तो वह भूखा मर जाएगा। उसने सोचा कि इस अकाल के बारे स्वर्ग में जाकर वहां के राजा को बताया जाए।

यह भी पढे – सारिपुत्र – Sariputra

साहस कर मेंढक अकेला ही स्वर्ग की ओर चल पड़ा। राह में उसे मधुमक्खियों का एक झुंड मिला। मक्खियों के पूछने पर उसने बताया कि भूखे मरने से अच्छा है कि कुछ किया जाए। मक्खियों का हाल भी अच्छा नहीं था। जब फूल ही नहीं रहे तो उन्हें शहद कहां से मिलता। वे भी मेंढक के साथ चल दीं।

आगे जाने पर उन्हें एक मुर्गा मिला। मुर्गा बहुत उदास था। जब फसल ही नहीं हुई, तो उसे दाने कहां से मिलते। उसे खाने को कीड़े भी नहीं मिल रहे थे। इसलिए मुर्गा भी उनके साथ चल दिया। अभी वे सब थोड़ा ही आगे गए थे कि एक खूंखार शेर मिल गया। वह भी बहुत दुखी था। उसे खाने को जानवर नहीं मिल रहे थे। उनकी बातें सुन शेर भी उनके साथ हो लिया।

कई दिनों तक चलने के बाद वे स्वर्ग में पहुंचे। मेंढक ने अपने सभी साथियों को राजा के महल के बाहर ही रुकने को कहा। उसने कहा कि पहले वह भीतर जाकर देख आए कि राजा कहां है। मेंढक उछलता हुआ महल के भीतर चला गया। कई कमरों में से होता हुआ वह राजा तक पहुंच ही गया। राजा अपने कमरे में बैठा परियों के साथ बातें कर रहा था। मेंढक को क्रोध आ गया। उसने लम्बी छलांग लगाई और उनके बीच पहुंच गया। परियां एकदम चुप हो गईं। राजा को एक छोटे से मेंढक की करतूत देख गुस्सा आ गया।

“पागल जीव! तुमने हमारे बीच आने का साहस कैसे किया?

” राजा चिल्लाया। परंतु मेंढक बिलकुल नहीं डरा। उसे तो धरती पर भी भूख से मरना था। जब मौत साफ दिखाई दे तो हर कोई निडर हो जाता है।

यह भी पढे – यही सूत्र है परमात्मा तक जाने का। – This Is The Formula To Reach God.

राजा फिर चीखा। पहरेदार भागे आए ताकि मेंढक को पकड़ कर महल से बाहर निकाल दें। मगर इधर-उधर उछलता मेंढक उनकी पकड़ में नहीं आ रहा था। मेंढक ने मधुमक्खियों को आवाज दी। वे सब भी अंदर आ गईं। वे सब पहरेदारों के चेहरों पर डंक मारने लगीं। उनसे बचने के लिए सभी पहरेदार भाग गए। राजा हैरान था। तब उसने तूफान के देवता को बुलाया। पर मुर्गे ने शोर मचाया और पंख फड़फड़ा कर उसे भी भगा दिया। तब राजा ने अपने कुत्तों को बुलाया। उनके लिए भूखा खूंखार शेर पहले से ही तैयार बैठा था।

अब राजा ने डर कर मेंढक की ओर देखा। मेंढक ने कहा, “महाराज! हम तो आपके पास प्रार्थना करने आए थे। धरती पर अकाल पड़ा हुआ है। हमें वर्षा चाहिए।”

राजा ने उससे पीछा छुड़ाने के लिए कहा, “अच्छा चाचा! वर्षा को भेज देता हूं।”

जब वे सब साथी धरती पर वापस आए तो वर्षा भी उनके साथ थी। इसलिए वियतनाम में मेंढक को “स्वर्ग का चाचा” कह कर पुकारा जाता है। लोगों को जब मेंढक की आवाज़ सुनाई देती है वे कहते हैं, “चाचा आ गया तो वर्षा भी आती होगी।”

Note:- इन कहानियों मे प्रयोग की गई सभी तस्वीरों को इंटरनेट से गूगल सर्च और बिंग सर्च से डाउनलोड किया गया है।

Note:-These images are the property of the respective owner. Hindi Nagri doesn’t claim the images.

यह भी पढे –

सभी कहानियों को पढ़ने के लिए एप डाउनलोड करे/ Download the App for more stories:

Get it on Google Play