महँगाई – Inflation
नये बजट से भारतीयों को निराशा ही हाथ लगी है |
बढ़ते हुये मूल्यों के कारण खाद्दान्न , दवाईया , यातायात सेवाए और दैनिक उपयोग की कई वस्तुए बहुत महंगी हो चुकी है |
धनाढ्य वर्ग पर इन प्रवृत्तियों का कोई प्रभाव नही पड़ेगा परन्तु आम आदमी, जिसकी आय की स्त्रोत सीमित है, इनकी चपेट में आ जायेगा|
प्रत्येक वस्तु के दाम सात वर्षो में लगभग दोगुने हो जाते है |
और पैट्रोल , डीजल , पेट्रोलियम उत्पादों, यात्री यातायात आदि के मूल्यों में वृद्धि तो काफी अप्रत्याशित हुई है |
गरीब आदमी पर काफी बोझ है और महंगाई की मार भी उसी को झेलनी पड़ रही है |
फल , दूध, सब्जियां , कपड़ा, खाद्दान्न व मूलभूत सेवाओं के दामो में पिछले दस वर्षो में वृद्दि हो गई है |
इसके अलावा कालाबाजार, रिश्वतखोरी और सरकारी बाबूगिरी का भी इस महंगाई में काफी योगदान रहा है |
यह एक सुखद बात है कि मोबाईल फोन, एयर कन्डीशनर , सौदर्य प्रसाधन ,कुछ दवाइयां और कम्प्यूटर सस्ते हो गये है |
परन्तु आम आदमी को ये सब नही, अपितु मूलभूत सुविधाये सस्ते दामो पर चाहिए |
विलास की वस्तुए सस्ती करने से जनसाधारण की कठिनाइयां हल नही होगी |
भारतवासी बढती हुई महंगाई का प्रकोप सहन नही कर पा रहे है |
मूलभूत सुविधाओ ; खान-पान की वस्तुओ , शिक्षा व् स्वास्थ्य सम्बन्धी मदों पर खर्च करने के बाद उनके हाथ में कुछ नही बचता |
कई बार तो यह मुख्य मद भी उनके द्वारा ठंडे बस्ते में डाल दिये जाते है |
इस स्थिति में आम आदमी बच्चो की उन्नति व् अपनी खुशहाली के लिए कैसे प्रयास कर सकता है ?
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सरकार को बढतीहुई महंगाई पर अंकुश लगाना ही होगा |
उन्मुक्त व्यापार व्यवस्था का भी देश भर के बाजारों पर अच्छा प्रभाव पड़ने की आशा है |
जब एक ही वस्तु के दो या दो से अधिक निर्माता या विक्रेता होगे तो दम स्वय ही कम हो जायेगे |
इसका लाभ आम आदमी को अवश्य मिलेगा |
फिर भी सरकार को काला बाजार, रिश्वतखोरी और वस्तुओ के गलत भंडारण जैसी समस्याओ से निपटना होगा |
यह जनसाधारण के हितो की रक्षा करने के लिए आवश्यक है |
जनसाधारण के लिए आज भी सरकार ही उत्तरदायी है |
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