भक्त – कबीर – दोहा
भक्त - कबीर - दोहादोहा - 1आरत कैय हरि भक्ति करु, सब कारज सिध होयेकरम जाल भव जाल मे, भक्त फंसे नहि कोये।अर्थ :...
विरह – कबीर – दोहा
विरह - कबीर - दोहायह भी पढे – None - None
दोहा - 1अंखियाॅ तो झैन परि, पंथ निहार निहारजीव्या तो छाला पारया, राम पुकार...
बुद्धि – कबीर – दोहा
बुद्धि - कबीर - दोहायह भी पढे – स्वर्ग का द्वार - Heaven’S Gate
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दोहा...
तलाश – कबीर – दोहा
तलाश - कबीर - दोहायह भी पढे – एक चुप सौ सुख - One Silent Hundred Happiness
दोहा - 1भक्ति महल बहुत उॅच है दूरैहि...
वेश – कबीर – दोहा
वेश - कबीर - दोहायह भी पढे – मुल्ला और पड़ोसी - Mullah And Neighbor
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पारखी – कबीर – दोहा
पारखी - कबीर - दोहायह भी पढे – रंग में भंग - Disruption In Happiness
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दोहा -...
वीरता – कबीर – दोहा
वीरता - कबीर - दोहादोहा - 1सिर राखे सिर जात है, सिर कटाये सिर होयेजैसे बाती दीप की कटि उजियारा होये।अर्थ : सिर अंहकार...
लोभ – कबीर – दोहा
लोभ - कबीर - दोहायह भी पढे – शिक्षा और परीक्षा - Education And Examination
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सर्वव्यापक ईश्वर – कबीर – दोहा
सर्वव्यापक ईश्वर - कबीर - दोहायह भी पढे – कीमती पत्थर - Precious Stones
दोहा - 1मैं जानू हरि दूर है हरि हृदय भरपूरमानुस ढुढंहै...
