कृष्णावतार – Krishnavatar
भगवान विष्णु ने श्रीकृष्ण के रूप मे देवकी और वसुदेव के घर मे जन्म लिया था। उनका लालन पालन यशोदा और नंद ने किया था। इस अवतार का विस्तृत वर्णन श्रीमद्भागवत पुराण मे मिलता है।
कृष्ण हिन्दू धर्म में विष्णु के अवतार हैं। हिन्दू श्रीकृष्ण को ईश्वर मानते हैं, और उन पर अपार श्रद्धा रखते हैं। सनातन धर्म के अनुसार भगवान विष्णु सर्वपापहारी पवित्र और समस्त मनुष्यों को भोग तथा मोक्ष प्रदान करने वाले प्रमुख देवता हैं।
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जब-जब इस पृथ्वी पर असुर एवं राक्षसों के पापों का आतंक व्याप्त होता है तब-तब भगवान विष्णु किसी न किसी रूप में अवतरित होकर पृथ्वी के भार को कम करते हैं। वैसे तो भगवान विष्णु ने अभी तक तेईस अवतारों को धारण किया। इन अवतारों में उनका सबसे महत्वपूर्ण अवतार श्रीकृष्ण का ही था।
यह अवतार उन्होंने वैवस्वत मन्वन्तर के अट्ठाईसवें द्वापर में श्रीकृष्ण के रूप में देवकी के गर्भ से मथुरा के कारागर में लिया था। वास्तविकता तो यह थी इस समय चारों ओर पापकृत्य हो रहे थे। धर्म नाम की कोई भी चीज नहीं रह गई थी। अतः धर्म को स्थापित करने के लिए श्रीकृष्ण अवतरित हुए थे।
श्रीकृष्ण में इतने अमित गुण थे कि वे स्वयं उसे नहीं जानते थे, फिर अन्य की तो बात ही क्या है?
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समस्त देवताओं में श्रीकृष्ण ही ऐसे थे जो इस पृथ्वी पर सोलह कलाओं से पूर्ण होकर अवतरित हुए थे। उन्होंने जो भी कार्य किया उसे अपना महत्वपूर्ण कर्म समझा, अपने कार्य की सिद्धि के लिए उन्होंने साम-दाम-दंड-भेद सभी का उपयोग किया, क्योंकि उनके अवतीर्ण होने का मात्र एक उद्देश्य था कि इस पृथ्वी को पापियों से मुक्त किया जाए। अपने इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए उन्होंने जो भी उचित समझा वही किया।
उन्होंने कर्मव्यवस्था को सर्वोपरि माना, कुरुक्षेत्र की रणभूमि में अर्जुन को कर्मज्ञान देते हुए उन्होंने गीता की रचना की जो कलिकाल में धर्म में सबसे महत्वपूर्ण ग्रंथ माना जाता है।
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