अहंकार के दीए – Lamps Of Ego
एक आदमी रात को झोपड़ी में बैठकर एक छोटे से दीये को जलाकर कोई शास्त्र पढ़ रहा था । आधी रात बीत गई जब वह थक गया तो फूंक मार कर उसने दीया बुझा दिया । लेकिन वह यह देख कर हैरान हो गया कि जब तक दीया जल रहा था, पूर्णिमा का चांद बाहर खड़ा रहा । लेकिन जैसे ही दीया बुझ गया तो चांद की किरणें उस कमरे में फैल गई । वह आदमी बहुत हैरान हुआ यह देख कर कि एक छोटे से दीए ने इतने बड़े चांद को बाहर रोेक कर रक्खा । इसी तरह हमने भी अपने जीवन में अहंकार के बहुत छोटे-छोटे दीए जला रखे हैं जिसके कारण परमात्मा का चांद बाहर ही खड़ा रह जाता है ।
जबतक वाणी को विश्राम नहीं दोगे तबतक मन शांत नहीं होगा। मन शांत होगा तभी ईश्वर की उपस्थिति महसूस होगी ।….. – ओशो”
यह भी पढे – ताजमहल का भ्रमण – Taj Mahal Tour
यह भी पढे – ज्ञान शक्ति है – Knowledge Is Power
Note:- इन कहानियों मे प्रयोग की गई सभी तस्वीरों को इंटरनेट से गूगल सर्च और बिंग सर्च से डाउनलोड किया गया है।
Note:-These images are the property of the respective owner. Hindi Nagri doesn’t claim the images.
यह भी पढे –
- मानव अधिकार – Human Right
- ब्राह्म पर्व – Brahma Festival
- वह मरा क्यों? – Why Did He Die?
- तेईसवीं पुतली धर्मवती की कहानी – Story Of Twenty-Third Pupil Dharamvati
- लाल बहादुर शास्त्री – Lal Bahadur Shastri
सभी कहानियों को पढ़ने के लिए एप डाउनलोड करे/ Download the App for more stories: