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लक्ष्मी जी की मुक्ति – liberation of goddess lakshmi

कहते हैं कि राजा बलि के कारागर में श्री लक्ष्मी जी सब देवताओं के साथ बंधन में थीं। आज के दिन ही कार्तिक कृष्ण अमावस्या को भगवान विष्णु जी ने वामन अवतार धारण कर उन सबको बंधन से छुड़ाया था। बंधन मुक्त होते ही सभी देवता भगवती श्री लक्ष्मी जी के साथ क्षीर-सागर में जाकर सो गए थे।
अतः कार्तिक कृष्ण अमावस्या को भगवान गणेश जी व भगवती लक्ष्मी जी की सुंदर नई मूर्तियों का पूजन किया जाता है। उनके शयन (सोने) का सुंदर प्रबंध किया जाता है, जिससे वे क्षीर-सागर न जाकर अपने घर में ही प्रतिष्ठित रहें।

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