मुल्ला नसरूदीन हमेशा कहता था कि यदि तुम चाहते हो कि तुम्हारी पत्नी तुम्हारी बात ध्यान से सुने तो किसी दूसरी औरत के कानों में धीरे से बात कहनी शुरू कर दें। और फिर देखें असर। फिर पत्नी साहिबा ध्यान से सुनेगी ही नहीं बल्कि देखेगी भी।
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