नारद जी – Narad ji
एक बार नारद जी घुमते हुए डाकू रत्नाकर के इलाके में पहुँचे। रत्नाकर ने उन्हें लूटने के लिये रोका। नारद जी बोले “भैया मेरे पास तो यह वीणा है, इसे ही रख लो। लेकिन एक बात तो बताओ, तुम यह पाप क्यों कर रहे हो?
यह भी पढे – अहिल्या की कथा – Ahilya’s story
” रत्नाकर ने कहा,”अपने परिवार के लिये।” तब नारद जी बोले, “अच्छा, लेकिन लूटने से पहल एक सवाल जरा अपने परिवार वालों से पूछ आओ कि क्या वह भी तुम्हारे पापों में हिस्सेदार हैं?
यह भी पढे – तेनाली का प्रयोग – Tenali Ka Prayog (हिन्दी कहानी/Hindi Kahani)
”
रत्नाकर दौडे-दौडे घर पहुँचे। जवाब मिला, “हमारी देखभाल तो आपका कर्तव्य है, लेकिन हम आपके पापों में भागीदार नहीं हैं। लुटे-पिटे से रत्नाकर लौट कर नारद जी के पास आए और डाकू रत्नाकर से वाल्मीकि हो गए। बाद में उन्हें रामायण लिखने की प्रेरणा भी नारद जी से ही मिली।
Note:- इन कहानियों मे प्रयोग की गई सभी तस्वीरों को इंटरनेट से गूगल सर्च और बिंग सर्च से डाउनलोड किया गया है।
Note:-These images are the property of the respective owner. Hindi Nagri doesn’t claim the images.
यह भी पढे –
- सच्चा वीर युयुस्सु – true hero yuyusu
- एकदंत कैसे कहलाए गणेशजी – How to call Ganeshji Ekadant
- एकलव्य की गुरुभक्ति – Eklavya’s devotion to Guru
- तेनालीराम और चोटी का किस्सा – Tenaliram and the story of Hair Braid
- योद्धा अश्वत्थाम – warrior ashvatham
सभी कहानियों को पढ़ने के लिए एप डाउनलोड करे/ Download the App for more stories: