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परमात्मा और किसान – Parmatma aur Kisaan

आज हिन्दी नगरी आपके लिए लाया है एक नई कहानी परमात्मा और किसान / Parmatma aur Kisaan।

हमारे जीवन के हर पड़ाव पर कोई न कोई समस्या आती रहती है या फिर जब हम कुछ प्राप्त कर लेते है तब कुछ और की कामना करने लगते है और जब हमे वो वस्तु प्राप्त नहीं होती या हम समस्याओ से घिरे रहते है तब भगवान को कोसते है कि उन्होंने हमे इस समस्या मे क्यू डाला या फिर भगवान हमारी इच्छा पूरी नहीं कर रहे है ।

परंतु ऐसा नहीं है, जब किसी भी चीज़ जिसकी हम कामना करते है , भगवान को पता रहता है कि वो कब हमे देना है भगवान सही समय पर हमे सभी चीज़े प्रदान करता है।

यह कहानी एक ऐसे ही किसान की है जो अपनी समस्याओ के लिए भगवान को कोसता रहेता है और भगवान उसे सीखते है कि हर वस्तु का सही समय होता है ।

हमे पूरा भरोसा है की आपको यह कहानी पढ़कर भगवान के कामों को पूर्ण करने की प्रक्रिया पर पूरा भरोसा हो जाएगा और परमात्मा मे आपकी श्रद्धा और बढ़ेगी।

परमात्मा और किसान

एक बार एक किसान परमात्मा से बड़ा नाराज हो गया।

कभी बाढ़ आ जाये, कभी सूखा पड़ जाए, कभी धूप बहुत तेज हो जाए तो कभी ओले पड़ जाते थे।

हर बार कुछ ना कुछ कारण से उसकी फसल थोड़ी ख़राब हो जाती थी ।

एक दिन बड़ा तंग आ कर उसने परमात्मा से कहा ,देखिये प्रभु,आप परमात्मा हैं , लेकिन लगता है आपको खेती बाड़ी की ज्यादा जानकारी नहीं है ,एक प्रार्थना है कि एक साल मुझे मौका दीजिये , जैसा मै चाहू वैसा मौसम हो,फिर आप देखना मै कैसे अन्न के भण्डार भर दूंगा।

परमात्मा मुस्कुराये और कहा ठीक है, जैसा तुम कहोगे वैसा ही मौसम दूंगा, मै दखल नहीं करूँगा।

किसान ने गेहूं की फ़सल बोई ,जब धूप चाही ,तब धूप मिली, जब पानी तब पानी।

तेज धूप, ओले,बाढ़ ,आंधी तो उसने आने ही नहीं दिया ।

समय के साथ फसल बढ़ी और किसान की ख़ुशी भी,क्योंकि ऐसी फसल तो आज तक नहीं हुई थी।

किसान ने मन ही मन सोचा अब परमात्मा को पता चलेगा , की फ़सल कैसे करते हैं ,बेकार ही इतने बरस हम किसानो को परेशान करते रहे।

फ़सल काटने का समय भी आया ,किसान बड़े गर्व से फ़सल काटने गया, लेकिन जैसे ही फसल काटने लगा ,एकदम से छाती पर हाथ रख कर बैठ गया।

गेहूं की एक भी बाली के अन्दर गेहूं नहीं था ,सारी बालियाँ अन्दर से खाली थी, बड़ा दुखी होकर उसने परमात्मा से कहा ,प्रभु ये क्या हुआ ?

तब परमात्मा बोले,” ये तो होना ही था ,तुमने पौधों को संघर्ष का ज़रा सा भी मौका नहीं दिया।

ना तेज धूप में उनको तपने दिया , ना आंधी ओलों से जूझने दिया ,उनको किसी प्रकार की चुनौती का अहसास जरा भी नहीं होने दिया, इसीलिए सब पौधे खोखले रह गए।

जब आंधी आती है, तेज बारिश होती है ओले गिरते हैं तब पोधा अपने बल से ही खड़ा रहता है, वो अपना अस्तित्व बचाने का संघर्ष करता है और इस संघर्ष से जो बल पैदा होता है वोही उसे शक्ति देता है ,उर्जा देता है, उसकी जीवटता को उभारता है।

सोने को भी कुंदन बनने के लिए आग में तपने , हथौड़ी से पिटने,गलने जैसी चुनोतियो से गुजरना पड़ता है तभी उसकी स्वर्णिम आभा उभरती है,उसे अनमोल बनाती है।

उसी तरह जिंदगी में भी अगर संघर्ष ना हो ,चुनौती ना हो तो आदमी खोखला ही रह जाता है, उसके अन्दर कोई गुण नहीं आ पाता।

ये चुनोतियाँ ही हैं जो आदमी रूपी तलवार को धार देती हैं ,उसे सशक्त और प्रखर बनाती हैं, अगर प्रतिभाशाली बनना है तो चुनोतियाँ तो स्वीकार करनी ही पड़ेंगी, अन्यथा हम खोखले ही रह जायेंगे।

अगर जिंदगी में प्रखर बनना है,प्रतिभाशाली बनना है ,तो संघर्ष और चुनोतियो का सामना तो करना ही पड़ेगा।

सत्य कथन

भगवान के पास हर चीज़ का सही समय है, उन पर भरोसा रखे।

God has perfect timing for everything , trust him.