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शेर, लोमड़ी और भिक्षुक – Sher, Lomdi aur bhikshuk

आज हिन्दी नगरी आपके लिए लाया है एक नई कहानी शेर , लोमड़ी और भिक्षुक / Sher, Lomdi aur bhikshuk।

परमात्मा हमे समय-समय पर संकेत देते रहेते है कि हम अपनी और दूसरों की जिंदगी बेहतर करने के लिए और क्या कर सकते है, पर परमात्मा के उन संकेतों को न समझ कर हम गलती कर बैठते है। परमात्मा सदैव हमे उच्च रखना चाहते है इसीलिए हमे अपनी सोच को बड़ा कर परमात्मा के संकेतों को समझना चाहिए।

यह कहानी ऐसे ही एक भिक्षुक की है जो शेर और लोमड़ी को देख कर लोमड़ी जैसा बनना चाहता है जबकि भगवान उसे शेर जैसा बनने का संकेत देते है ।

हमे पूर्ण विश्वास है की आप भी परमात्मा के संकेतों को समझ कर उनका पालन करेंगे।

शेर , लोमड़ी और भिक्षुक

एक बौद्ध भिक्षुक भोजन बनाने के लिए जंगल से लकड़ियाँ चुन रहा था कि तभी उसने कुछ अनोखा देखा।

“कितना अजीब है ये !”, उसने बिना पैरों की लोमड़ी को देखते हुए मन ही मन सोचा।

“ आखिर इस हालत में ये जिंदा कैसे है ?” उसे आशचर्य हुआ , “ और ऊपर से ये बिलकुल स्वस्थ है। ”

वह अपने ख़यालों में खोया हुआ था की अचानक चारो तरफ अफरा – तफरी मचने लगी ; जंगल का राजा शेर उस तरफ आ रहा था।

भिक्षुक भी तेजी दिखाते हुए एक ऊँचे पेड़ पर चढ़ गया , और वहीँ से सब कुछ देखने लगा।

शेर ने एक हिरन का शिकार किया था और उसे अपने जबड़े में दबा कर लोमड़ी की तरफ बढ़ रहा था , पर उसने लोमड़ी पर हमला नहीं किया बल्कि उसे भी खाने के लिए मांस के कुछ टुकड़े डाल दिए।

“ ये तो घोर आश्चर्य है , शेर लोमड़ी को मारने की बजाये उसे भोजन दे रहा है। ” , भिक्षुक बुदबुदाया।

उसे अपनी आँखों पर भरोसा नहीं हो रहा था इसलिए वह अगले दिन फिर वहीँ आया और छिप कर शेर का इंतज़ार करने लगा।

आज भी वैसा ही हुआ , शेर ने अपने शिकार का कुछ हिस्सा लोमड़ी के सामने डाल दिया।

“यह भगवान् के होने का प्रमाण है !” भिक्षुक ने अपने आप से कहा।

“ वह जिसे पैदा करता है उसकी रोटी का भी इंतजाम कर देता है , आज से इस लोमड़ी की तरह मैं भी ऊपर वाले की दया पर जीऊंगा , इश्वर मेरे भी भोजन की व्यवस्था करेगा” और ऐसा सोचते हुए वह एक वीरान जगह पर जाकर एक पेड़ के नीचे बैठ गया।

पहला दिन बीता , पर कोई वहां नहीं आया , दूसरे दिन भी कुछ लोग उधर से गुजर गए पर भिक्षुक की तरफ किसी ने ध्यान नहीं दिया।

इधर बिना कुछ खाए -पीये वह कमजोर होता जा रहा था।

इसी तरह कुछ और दिन बीत गए , अब तो उसकी रही सही ताकत भी खत्म हो गयी …वह चलने -फिरने के लायक भी नहीं रहा।

उसकी हालत बिलकुल मृत व्यक्ति की तरह हो चुकी थी की तभी एक महात्मा उधर से गुजरे और भिक्षुक के पास पहुंचे।

उसने अपनी सारी कहानी महात्मा जी को सुनाई और बोला , “ अब आप ही बताइए कि भगवान् इतना निर्दयी कैसे हो सकते हैं , क्या किसी व्यक्ति को इस हालत में पहुंचाना पाप नहीं है ?”

“ बिल्कुल है।”, महात्मा जी ने कहा , “ लेकिन तुम इतना मूर्ख कैसे हो सकते हो ? तुम ये क्यों नहीं समझे कि भगवान् तुम्हे उस शेर की तरह बनते देखना चाहते थे , लोमड़ी की तरह नहीं !!!”

सत्य कथन

आपको दूसरों की मदद करने के लिए किसी कारण की जरूरत नहीं है।

You don’t need a reason to help others.