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मृदा प्रदूषण – Soil Pollution

मिट्टी इस धरती पर मौजूद सभी जीव-जन्तुओं के जीवन के लिये बेहद आवश्यक है। लेकिन इंसान अपनी कुछ स्वार्थी गतिविधियों से इसकी गुणवत्ता को बड़े स्तर पर प्रभावित कर रहा है। उपजाऊ भूमि की मिट्टी में अत्यधिक सघनता में जहरीले रसायनों (प्रदूषक या दूषणकारी तत्व भी कहा जाता है) की मौजूदगी के कारण प्रदूषित मिट्टी को मृदा प्रदूषण कहते हैं। कुछ संदूषक प्राकृतिक रुप से आ जाते हैं हालांकि ज्यादातर औद्योगिकीकरण और मानव क्रियाओं से उत्पन्न होती है। मृदा प्रदूषण आमतौर पर दो तरीके के होते हैं- जैविक और अजैविक चाहे वो प्राकृतिक या मनुष्यों द्वारा छोड़े गये हों। मृदा प्रदूषण का मुख्य कारण आकस्मिक लीकेज़, छलकन, निर्माण प्रक्रियाओं में, क्षेपण आदि है। मानव द्वारा छोड़े गये जहरीले रसायन से कुल मृदा जहरीलेपन स्तर में बढ़ौतरी हो रही है।

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सभी मृदा प्रदूषक उपजाऊ भूमि से मिल जाते हैं और प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष रुप से कई प्रकार की बिमारियों का कारण बनती है जैसे साँस संबंधी बीमारी, ब्रोंकाइटिन, अस्थमा, कैंसर आदि। वयस्कों से अधिक बच्चे प्रदूषक मिट्टी से जुड़े होते हैं क्योंकि वो उसी मिट्टी में खेलते हैं जिससे वो कई सारी बिमारियों से ग्रसित हो जाते हैं खासतौर से साँस संबंधी गड़बड़ियों से। बढ़ती जनसंख्या को अधिक अनाज की जरुरत है इसलिये इस जरुरत को पूरा करने के लिये लोग फसल उत्पादन में सुधार के लिये अत्यधिक सघन खाद का प्रयोग कर रहें हैं जो अंतत: भोजन के माध्यम से शरीर को नुकसान पहुंचा रहा है। मृदा प्रदूषण मिट्टी को जहरीला करने का एक धीमी प्रक्रिया है। हमें मिट्टी की उर्वरता को बरकरार रखने और इसको सुरक्षित रखने के लिये उचित कदम उठाने की आवश्यकता है, जिससे आने वाली पीढ़ी और विभिन्न जीव-जन्तु जीवित रह सके।

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