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जैसे को तैसा – Tit For Tat

लोमड़ी के कारनामों से भरपूर हमने अनेक कहानियाँ पढ़ी हैं। लोमड़ी हमेशा कुछ- न – कुछ बुरा ही करने की सोचती है। एक बार लोमड़ी ने सारस को अपने घर भोज जा निमंत्रण दिया। सारस ने ख़ुशी-ख़ुशी लोमड़ी का निमंत्रण स्वीकार कर लिया। सारस ने मन-ही-मन एक विशेष प्रकार के भोज के सपने देखने आरम्भ कर दिए। सारस सोच रहा था कि लोमड़ी सचमुच स्वादिष्ट भोजन उसके सामने परोसेगी। सारस का विचार था कि शीघ्र ही उसे स्वादिष्ट मछलियाँ और केकड़े खाने को मिलेंगे।

आखिर वह दिन आ ही गया जब सारस भोज के लिए लोमड़ी के घर गया। सारस को देखते ही लोमड़ी ने मुस्कुराते हुए कहा―’आओ मित्र, सारस! यहाँ पधारने के लिए तुम्हारा बहुत-बहुत शुक्रिया।’

इसके बाद सारस को लोमड़ी एक चौड़े- उथले बर्तन के पास ले गई, जिसमें बहुत स्वादिष्ट सूप भरा हुआ था।सूप को देखते ही सारस के मुख में पानी आ गया और उसने थोड़ा-सा सूप अपनी चोंच में भर लिया। फिर सारस ने चोंच को ऊपर करके सूप को गले से नीचे उतार लिया। तभी लोमड़ी ने भी सूप पीना शुरू कर दिया और सारा सूप समाप्त कर डाला। बेचारे सारस को थोड़ा-सा ही सूप नसीब हुआ।

लोमड़ी ने सारस को अपना रुमाल दिया ताकि वह अपनी चोंच साफ़ कर सके। लोमड़ी ने कहा―’मित्र सारस , तुम्हें भोज का भरपूर आनंद मिला होगा। मुझे आशा है कि तुम्हें सूप अवश्य ही अच्छा लगा होगा।’

लोमड़ी की बातें सुनकर सारस को बहुत गुस्सा आया। सारस स्वयं को अपमानित महसूस कर रहा था। सारस जैसे ही लोमड़ी से विदा लेकर बाहर आया। तभी चतुर लोमड़ी सारस का उपहास करते हुए जोर-जोर से हँसने लगी।

अपमानित होकर सारस ने लोमड़ी से बदला लेने का निश्चय कर लिया। सारस ने निश्चय किया कि वह भी लोमड़ी को भोज के लिए निमंत्रित करके उसके साथ वैसा ही व्यवहार करेगा।

सारस ने लोमड़ी के प्रति अपना क्रोध अपने मन में छिपा कर रखा। कुछ दिन बाद लोमड़ी से बोला―’बहन लोमड़ी, तुम्हारे स्वादिष्ट भोज के लिए तुम्हारा बहुत-बहुत धन्यवाद। रविवार रात को तुम्हारी मेरे घर दावत है। मैं तुम्हें भोज के लिए निमंत्रित करता हूँ। ठीक समय पर पधारने को कष्ट करना।’

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लोमड़ी ने सारस का निमंत्रण ख़ुशी-ख़ुशी स्वीकार कर लिया और निश्चित समय पर सारस के घर पहुँच गई। सारस ने लोमड़ी का स्वागत करते हुए कहा―’ आओ बहन, जल्दी चलो, भोज का आनंद उठाएँ।’ लोमड़ी बोली―’मुझे तो स्वादिष्ट मछलियाँ और केकड़े की खुशबू आ रही है। मैं अब प्रतीक्षा नहीं कर सकती।’

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सारस लोमड़ी को एक सुराहीनुमा लम्बे बर्तन के पास ले गया जिसमें केकड़े और स्वादिष्ट मछलियाँ भरी हुई थीं। सारस ने सुराहीनुमा बर्तन में अपनी चोंच डाली और एक केकड़ा अपनी चोंच में फँसाकर आनंद से खाने लगा। इसके बाद सारस एक ओर खड़ा हो गया और लोमड़ी से भोजन करने के लिए कहा।

लोमड़ी ने सुराहीनुमा बर्तन में अपना सिर घुसाने की बहुत कोशिश की लेकिन बर्तन का मुँह इतना पतला था कि लोमड़ी सफल न हो सकी। सारस ने पेट भरकर भोजन खाया और बेचारी लोमड़ी देखती ही रह गई। लोमड़ी गुस्से से पैर पटकती हुई अपने घर चली गई।

सारस ने लोमड़ी का उपहास करते हुए कहा―’ लोमड़ी बहन, यह तो जैसे को तैसा था।’ इतना कहकर सारस जोर-जोर से हँसने लगा।

शिक्षा:- इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमारे साथ जो जैसा व्यवहार करता है, हमें भी उसके साथ वैसा ही व्यवहार करना चाहिए।

Note:- इन कहानियों मे प्रयोग की गई सभी तस्वीरों को इंटरनेट से गूगल सर्च और बिंग सर्च से डाउनलोड किया गया है।

Note:-These images are the property of the respective owner. Hindi Nagri doesn’t claim the images.

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