चालबाज तो ऐसे हैं – Tricksters Are Like That
मैंने सुना है एक नाव डूबी—डूबी हो रही थी। लोग घुटने टेक कर प्रार्थना कर रहे थे परमात्मा से। सिवाय उसके कोई उपाय सूझता नहीं था। तूफाना जोर का था। आंधी भयंकर थी। लहरें आकाश छूने की चेष्टा कर रही थीं। नाव छोटी थी, डांवांडोल थी। पानी भीतर आ रहा था, उलीच रहे थे लेकिन कोई आशा न थी। किनारा बहुत दूर…किनारे का कोई पता न चलता था। सारे लोग तो प्रार्थना कर रहे थे, लेकिन एक मुसलमान फकीर चुपचाप बैठा था। लोगों को उस पर बहुत नाराजगी आई। लोगों ने कहा कि तुम फकीर हो, तुम्हें तो हमसे पहले प्रार्थना करनी चाहिए और तुम चुप बैठे हो! हम सबका जीवन संकट में है, तुम से इतना भी नहीं होता कि प्रार्थना करो। और हो सकता है हमारी प्रार्थना न पहुंचे क्योंकि हमने तो कभी प्रार्थना की ही नहीं पहले। तुम्हारी पहुंचे, तुम जिंदगी—भर प्रार्थना में डूबे रहे हो। और आज तुम्हें क्या हुआ है?
यह भी पढे – अमर शहीद भगत सिंह – Amar Shaheed Bhagat Singh
यह भी पढे – सपेरी और बंदर – The Snake Charmer And The Monkey
रोज हम तुम्हें देखते थे प्रार्थना करते—सुबह, दोपहर, सांझ। मुसलमान फकीर पांच दफा नमाज पढ़ता था। आज तुम्हें क्या हुआ है?
आज तुम क्यों किंकर्तव्यविमूढ़ मालूम होते हो?
लेकिन फकीर हंसता रहा। नहीं की प्रार्थना और तभी जोर से चिल्लाया कि रुको, क्योंकि लोग प्रार्थना कर रहे थे—कोई कह रह था कि जाकर मैं हजार रुपये दान करूंगा; कोई कहता था कि मस्जिद को दे दूंगा; कोई कहता था चर्च को दान कर दूंगा; कोई कह रहा था कि संन्यास ले लूंगा सब छोड़कर। बीच में फकीर एकदम से चिल्लाया कि सम्हलो, इस तरह की बातें न करो, किनारा दिखाई पड़ रहा है। किनारा करीब आ गया था। तूफान की लहरें नाव को तेजी से किनारे की तरफ ले आई थीं। बस सारी प्रार्थनाएं वहीं समाप्त हो गयीं। अधूरी प्रार्थनाओं में लोग उठे गए, अपना सामान बांधने लगे, भूल ही गए प्रार्थना और परमात्मा को। तब फकीर प्रार्थना करने बैठा। लोग हंसने लगे। उन्होंने कहा: तुम भी एक पागल मालूम होते हो। अब क्या प्रार्थना कर रहे हो?
अब तो किनारा करीब आ गया। उस फकीर ने कहा कि मैंने सद्गुरुओं से सुना है नावें मझधार में नहीं डूबतीं, किनारों पर डूबती हैं। मैंने सद्गुरुओं से सुना है कि मझधार में तो लोग सचेष्ट होते हैं, सावधान होते हैं; किनारों पर आकर बेहोश हो जाते हैं। मैंने सद्गुरुओं सेसुना है कि मझधार में तो लोग प्रार्थनाएं करते हैं, परमात्मा को पुकारते हैं; किनारा करीब देखते ही परमात्मा को भूल जाते हैं। फिर कौन फिक्र करता है! जब किनारा ही करीब आ गया तो कौन परमात्मा की फिक्र करता है। चालबाज तो ऐसे हैं, बेईमान तो ऐसे हैं कि जिनका हिसाब नहीं।-ओशो”
Note:- इन कहानियों मे प्रयोग की गई सभी तस्वीरों को इंटरनेट से गूगल सर्च और बिंग सर्च से डाउनलोड किया गया है।
Note:-These images are the property of the respective owner. Hindi Nagri doesn’t claim the images.
यह भी पढे –
- वराह अवतार – varaha avatar
- विष्णु जी को ख़त – Letter To Vishnu Ji
- त्रिशंकु की स्वर्गयात्रा – Trishanku’s journey to heaven
- यमुना के पार गोकुल – Gokul Across Yamuna
- सब बह जाएंगे – Everything Will Flow Away
सभी कहानियों को पढ़ने के लिए एप डाउनलोड करे/ Download the App for more stories: