~Advertisement ~

आंख झुका लेने से क्या होगा? – What Will Happen If You Bend Your Eyes?

एक बूढ़ा फकीर और एक युवक फकीर आश्रम वापिस लौट रहे हैं। छोटी-सी नदी पड़ती है। और एक सुंदर युवती नदी पार करने को खड़ी है, लेकिन डरती है। अनजानी नदी है, पहाड़ी नदी है, गहरी हो, खतरनाक हो, बड़ी तेज धार है। बूढ़ा संन्यासी तो नीचे आंख करके जल्दी से नदी में प्रवेश कर जाता है, क्योंकि वह समझ जाता है कि यह पार होना चाहती है, हाथ का सहारा मांगती है, लेकिन वह डर जाता है। हाथ का सहारा! इस बात में पड़ना ठीक नहीं! लेकिन युवक संन्यासी उसके पीछे ही चला आ रहा है। वह युवती से पूछता है कि क्या कारण है। सांझ हुई जा रही है, जल्दी ही सूरज डूब जाएगा और युवती अकेली छूट जाएगी। युवती कहती है ः मैं बहुत डरी हुई हूं। पानी में उतरते घबड़ाती हूं। मुझे उस पार जाना है। तो वह युवक संन्यासी उसे कंधे पर ले लेता है। बूढ़ा संन्यासी उस पार पहुंच गया, तब उसे याद आती है कि मेरे पीछे एक युवा संन्यासी भी आ रहा है, कहीं वह इस झंझट में न पड़ जाए! लौटकर देखता है तो उसकी आंखों को भरोसा ही नहीं आता है ः वह कंधे पर बिठाए हुए लड़की को नदी पार कर रहा है! बूढ़ा तो आग से जल-भुन गया। युवक संन्यासी ने युवती को दूसरे किनारे उतार दिया, फिर दोनों चुपचाप चलने लगे। दो मील तक कोई बात न हुई। दो मील बाद बूढ़े को बर्दाश्त के बाहर हो गया। उसने कहा ः यह ठीक नहीं हुआ और मुझे गुरु को जाकर कहना ही पड़ेगा; नियम का उल्लंघन हुआ है। तुमने उस सुंदर युवती को कंधे पर क्यों बिठाया! उस युवक ने जो कहा, वह याद रखना। युवक ने कहा ः ‘आप बहुत थक गए होंगे। मैं तो युवती को नदी के तट पर ही उतार आया; आप अभी कंधे पर बिठाए हुए हैं! आप बहुत थक गए होंगे! बात आई और गई भी हो गई, अभी तक आप भूले नहीं!’ जिसको तुम महात्मा कहते हो, वह आंख तो झुका लेगा; लेकिन आंख झुकाने से कहीं वासनाएं समाप्त होती हैं! आंख फोड़ भी लो तो भी वासनाएं समाप्त नहीं होती। आंखों पर पट्टियां बांध लो, तो भी वासनाएं समाप्त नहीं होती, वासनाओं का आंखों से क्या संबंध है?

यह भी पढे – ब्रुकलिन ब्रिज – Brooklyn Bridge

यह भी पढे – राम-भरत मिलाप – Ram – Bharat Milaap

क्या तुम सोचते हो, अंधे को वासना नहीं होती?

अंधे को इतनी ही वासना होती है, जितनी तुमको; शायद थोड़ी ज्यादा ही होती है। क्योंकि उसके पास, बेचारे के पास, उपाय भी नहीं; असहाय है, वह तड़फता है। उसके भीतर भी प्रबल आकांक्षा है, प्रबल वेग है। तो आंख बंद कर लेने से, आंख झुका लेने से क्या होगा?

किसको धोखा दे रहे हो?

– ओशो”

Note:- इन कहानियों मे प्रयोग की गई सभी तस्वीरों को इंटरनेट से गूगल सर्च और बिंग सर्च से डाउनलोड किया गया है।

Note:-These images are the property of the respective owner. Hindi Nagri doesn’t claim the images.

यह भी पढे –

सभी कहानियों को पढ़ने के लिए एप डाउनलोड करे/ Download the App for more stories:

Get it on Google Play