क्यों हनुमान जी ने भीम को दिए अपने शरीर के तीन बाल ? – Why Did Hanuman Ji Give Three Hairs Of His Body To Bhima?
क्यों हनुमान जी ने भीम को दिए अपने शरीर के तीन बाल ?
महाभारत की पौराणिक कहानियां हम बचपन से ही किताबों और टीवी सीरियलों में देखते आये हैं। लेकिन कुछ कथाएं ऐसी भी हैं जिन्हें आपने ना कभी पढ़ा होगा और ना ही सुना होगा। ये कथाएं अपने आप में अद्भुत हैं। आज इस पौराणिक कथा में हम आपको सुनाएंगे एक कहानी जब हनुमान जी ने भीम को अपने शरीर के तीन बाल दिए, जानिए क्यों ?
:-
पांडवों ने श्री कृष्ण की मदद से कौरवों पर विजय प्राप्त कर ली थी। अब हस्तिनापुर का राज्य पांडवों के अधीन था। धर्मराज युधिष्ठर राजा बने थे। न्याय और धर्म की प्रतिमूर्ति महाराज युधिष्ठर के राज्य में सब कुशल मंगल था।
समस्त हस्तिनापुर आनंदमयी जीवन व्यतीत कर रहा था। कहीं कोई किसी प्रकार का दुःख ना था।
एक दिन नारद मुनि राजा युधिष्ठर के पास आये और कहा कि महाराज आप यहाँ वैभवशाली जीवन जी रहे हैं लेकिन वहां स्वर्ग में आपके पिता बड़े ही दुखी हैं। युधिष्ठर ने नारद मुनि से पिता के दुखी होने का कारण पूछा तो उन्होंने बताया कि पाण्डु का सपना था कि वो राज्य में एक “राजसूर्य यज्ञ” करायें लेकिन वो अपने जीवन काल में नहीं करा पाए बस इसी बात से दुःखी हैं।
यह भी पढे – अभ्यास एक व्यक्ति को पूर्ण बनाता है – Practice Makes A Man Perfect
तब युधिष्ठर ने अपने पिता की शांति के लिए राजसूर्य यज्ञ करने का फैसला लिया। इस यज्ञ में वो ऋषि पुरुष मृगा को बुलाना चाहते थे। ऋषि पुरुष मृगा भगवान शिव के परम भक्त थे, उनका ऊपर का हिस्सा पुरुष का था और नीचे का हिस्सा मृगा (हिरन) का, इसलिए उनका नाम पुरुष मृगा था।
युधिष्ठर ने अपने छोटे भाई भीम को आज्ञा दी कि वह ऋषि पुरुष मृगा को ढूंढ कर लाएं ताकि यज्ञ संपन्न हो सके। भीम भाई की आज्ञा पाकर ऋषि पुरुष मृगा को ढूंढने चल दिए।
एक जंगल से गुजरते हुए भीम को पवन पुत्र हनुमान दिखाई दिए। चूँकि भीम भी पवन (वायु) के पुत्र थे तो इस नाते हनुमान और भीम दोनों भाई हुए। हनुमान जी ने अपने छोटे भाई भीम को अपने शरीर के तीन बाल दिए और कहा ये बाल तुमको मुसीबत से बचाने में मदद करेंगे।
काफी दूर भटकने के बाद भीम ने आखिर ऋषि पुरुष मृगा को ढूंढ ही लिया वो उस समय भगवान शिव का ध्यान लगाए बैठे थे। भीम ने जब उन्हें राजसूर्य यज्ञ में चलने की बात कही तो वो तैयार हो गए लेकिन उन्होंने भीम में सामने एक शर्त रखी।
शर्त यह थी कि भीम को हस्तिनापुर ऋषि पुरुष मृगा से पहले पहुँचना था। अगर पुरुष मृगा भीम से पहले हस्तिनापुर पहुँच गए तो वे भीम को खा जायेंगे। अब चूँकि ऋषि पुरुष मृगा का निचला हिस्सा हिरन का था तो वे बहुत तेज दौड़ते थे।
यह भी पढे – महाभारत अर्जुन की प्रतिज्ञ – Mahabharata Arjuna’s vow
भीम ने साहस करके उनकी यह शर्त स्वीकार कर ली। भीम ने तुरंत तेजी से हस्तिनापुर की ओर दौड़ना शुरू कर दिया। भीम ने अचानक पीछे मुड़कर देखा तो पाया ऋषि पुरुष मृगा उनके बिलकुल नजदीक आ चुके हैं। घबराये हुए भीम को अचानक हनुमान जी द्वारा दिए हुए तीन बालों की याद आयी।
भीम ने एक बाल जमीन पर फेंक दिया। तुरंत उस बाल की शक्ति से बहुत सारे शिवलिंग जमीन पर उत्पन्न हो गए। ऋषि पुरुष मृगा भगवान शिव के भक्त थे इसलिए अब वो हर शिवलिंग को पूजते हुए आगे बढ़ रहे थे जिससे उनकी चाल धीमी पड़ गयी।
अब थोड़ी देर बाद भीम ने फिर दूसरा बाल फेंका तो फिर से बहुत सारे शिवलिंग उत्पन्न हो गए। इसी तरह भीम ने ऋषि पुरुष मृगा को पीछे रखने के लिए एक एक कर तीनों बाल फेंक दिए लेकिन जैसे ही भीम महल में घुसने ही वाले थे तभी पुरुष मृगा ने उनके पाँव पीछे से खींच लिए और भीम के पाँव महल से बाहर ही रह गए।
अब पुरुष मृगा भीम को खाने के लिए जैसे ही आगे बढे तुरंत वहाँ राजा युधिष्ठिर और भगवान कृष्ण आ गए। तब ऋषि पुरुष मृगा ने युधिष्ठर ने कहा कि अब आप ही न्याय करें।
राजा युधिष्ठर ने अपना फैसला सुनाया कि भीम के पाँव ही महल से बाहर रहे थे इसलिए आप भीम के सिर्फ पैर खा सकते हैं। युधिष्ठर के इस न्याय से पुरुष मृगा बेहद खुश हुए और उन्होंने भीम को जीवन दान दिया। फिर मगलपूर्वक राजसूर्य यज्ञ संपन्न हुआ और ऋषि पुरुष मृगा सबको आशीर्वाद देकर फिर से अपने रास्ते पर निकल पड़े।
समाप्त!!
Note:- इन कहानियों मे प्रयोग की गई सभी तस्वीरों को इंटरनेट से गूगल सर्च और बिंग सर्च से डाउनलोड किया गया है।
Note:-These images are the property of the respective owner. Hindi Nagri doesn’t claim the images.
यह भी पढे –
- छरवाजा – Chharvaja
- बिल्ली के लिए गाय – Cow For Cat
- शिकंजी का स्वाद – Taste Of Shikanji
- सब बह जाएंगे – Everything Will Flow Away
- None – None
सभी कहानियों को पढ़ने के लिए एप डाउनलोड करे/ Download the App for more stories: