गृहपत्यावतार – home address
भगवान शंकर का सातवां अवतार है गृहपति। यह अवतार हमें संदेश देता है कि हम जो भी कार्य करें उसके केंद्र में भगवान को रखें। अर्थात यदि हम सिर्फ भोजन प्राप्ति के लिए भी कोई कार्य कर रहे हैं तो उसका माध्यम पवित्र तथा धर्मानुसार होना चाहिए। इस कार्य में किसी का अहित नहीं होना चाहिए। तभी हमारा कार्य सफल होगा। पुराणों के अनुसार हमारे शरीर में स्थित जठराग्नि(भूख) ही भगवान शंकर का गृहपति अवतार है। भूख लगने पर हम जो अन्न ग्रहण करते हैं उसी से हमारे शरीर का पोषण होता है तथा हमारे शरीर में स्थित सुक्ष्म प्राणों को संतुष्टि प्राप्त होती है।
यही इस अवतार का मूल संदेश है कि हम जठराग्नि को शांत करने के लिए जो भी कार्य करें वह धर्म के अनुसार हो।
शुचिष्मती-पुत्र के रूप में अवतरण
नर्मदा के तट पर धर्मपुर नाम का एक नगर था। वहां विश्वानर नाम के एक मुनि तथा उनकी पत्नी शुचिष्मती रहती थीं। शुचिष्मती ने बहुत काल तक नि:संतान रहने पर एक दिन अपने पति से शिव के समान पुत्र प्राप्ति की इच्छा की।
यह भी पढे – ब्राह्मण बालक की मृत्यु – death of brahmin child
पत्नी की अभिलाषा पूरी करने के लिए मुनि विश्वनार काशी आ गए। यहां उन्होंने घोर तप द्वारा भगवान शिव के वीरेश लिंग की आराधना की। एक दिन मुनि को वीरेश लिंग के मध्य एक बालक दिखाई दिया। मुनि ने बालरूपधारी शिव की पूजा की।
उनकी पूजा से प्रसन्न होकर भगवान शंकर ने शुचिष्मति के गर्भ से अवतार लेने का वरदान दिया। कालांतर में शुचिष्मती गर्भवती हुई और भगवान शंकर शुचिष्मती के गर्भ से पुत्ररूप में प्रकट हुए। कहते हैं पितामह ब्रह्मा ने ही उस बालक का नाम गृहपति रखा था।”
यह भी पढे – जटायु की मृत्यु – Jatayu’s death
Note:- इन कहानियों मे प्रयोग की गई सभी तस्वीरों को इंटरनेट से गूगल सर्च और बिंग सर्च से डाउनलोड किया गया है।
Note:-These images are the property of the respective owner. Hindi Nagri doesn’t claim the images.
यह भी पढे –
- रावण के जन्म की कथा – Story of Ravana’s birth
- भ्रूण हत्या – feticide
- अंगद रावण दरबार में – Angad in Ravana’s court
- वानर सेना का प्रस्थान – departure of the monkey army
- किष्किन्धाकाण्ड – राम हनुमान भेंट – Kishkindhakand – Ram Hanuman offering
सभी कहानियों को पढ़ने के लिए एप डाउनलोड करे/ Download the App for more stories:
