श्रह्म पुराण – Shram Purana
‘ब्रह्म पुराण’ गणना की दृष्टि से सर्वप्रथम गिना जाता है। परन्तु इसका तात्पर्य यह नहीं है कि यह प्राचीनतम है। काल की दृष्टि से इसकी रचना बहुत बाद में हुई है। इस पुराण में साकार ब्रह्म की उपासना का विधान है। इसमें ‘ब्रह्म’ को सर्वोपरि माना गया है। इसीलिए इस पुराण को प्रथम स्थान दिया गया है। कर्मकाण्ड के बढ़ जाने से जो विकृतियां तत्कालीन समाज में फैल गई थीं, उनका विस्तृत वर्णन भी इस पुराण में मिलता है। यह समस्त विश्व ब्रह्म की इच्छा का ही परिणाम है। इसीलिए उसकी पूजा सर्वप्रथम की जाती है।
सूर्य
यह भी पढे – ॐकारेश्वर ज्योतिर्लिंग – Omkareshwar Jyotirlinga
यह भी पढे – शनिदेव पर तेल क्यों चढ़ाते हैं? – Why do we offer oil to Shanidev?
इस जगत का प्रत्यक्ष जीवनदाता और कर्त्ता-धर्त्ता ‘सूर्य’ को माना गया है। इसलिए सर्वप्रथम सूर्य नारायण की उपासना इस पुराण में की गई है। सूर्य वंश का वर्णन भी इस पुराण में विस्तार से है। सूर्य भगवान की उपसना-महिमा इसका प्रमुख प्रतिपाद्य विषय है।
Note:- इन कहानियों मे प्रयोग की गई सभी तस्वीरों को इंटरनेट से गूगल सर्च और बिंग सर्च से डाउनलोड किया गया है।
Note:-These images are the property of the respective owner. Hindi Nagri doesn’t claim the images.
यह भी पढे –
- कुत्ते का न्याय – dog’s justice
- धनतेरस – Dhanteras
- वेदों का इतिहास जानें – Know The History Of Vedas
- शनिदेव पर तेल क्यों चढ़ाते हैं? – Why do we offer oil to Shanidev?
- वेद – सार – Veda – Essence
सभी कहानियों को पढ़ने के लिए एप डाउनलोड करे/ Download the App for more stories: