~Advertisement ~

कर्मयोग

Path of Selfless Service

The third chapter of the Bhagavad Gita is “Karma Yoga” or the “Path of Selfless Service”. Here Lord Krishna emphasizes the importance of karma in life. He reveals that it is important for every human being to engage in some sort of activity in this material world. Further, he describes the kinds of actions that lead to bondage and the kinds that lead to liberation. Those persons who continue to perform their respective duties externally for the pleasure of the Supreme, without attachment to its rewards get liberation at the end.

 

निःस्वार्थ सेवा का मार्ग

भगवद गीता का तीसरा अध्याय कर्मयोग या निःस्वार्थ सेवा का मार्ग है। इस अध्याय में भगवान श्रीकृष्ण जीवन में कर्म के महत्व पर जोर देते हैं। वे बताते हैं कि इस भौतिक संसार में हर मनुष्य का किसी न किसी प्रकार की क्रिया में सम्मिलित होना अनिवार्य है। इसके अलावा, वह उन कार्यों के बारे में बताते हैं जो मनुष्य को बांधते हैं अथवा वे जो मनुष्य को मुक्ति दिलाते हैं। वे मनुष्य जो अपने कर्तव्यों को भगवन की ख़ुशी के लिए एवं बिना फल की अपेक्षा किये हुए निरंतर करते रहते हैं, वे अंत में मुक्ति प्राप्त करते हैं।

No posts to display