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कर्मसंन्यासयोग

Path of Renunciation

The fifth chapter of the Bhagavad Gita is “Karma Sanyasa Yoga”. In this chapter, Krishna compares the paths of renunciation in actions (Karma Sanyas) and actions with detachment (Karma Yoga) and explains that both are means to reach the same goal and we can choose either. A wise person should perform his/her worldly duties without attachment to the fruits of his/her actions and dedicate them to God. This way they remain unaffected by sin and eventually attain liberation.

त्याग का मार्ग

भगवद गीता का पांचवा अध्याय कर्मसन्यासयोग योग है। इस अध्याय में श्रीकृष्ण ने कर्मयोग और कर्मसन्यासयोग कि तुलना करते हुआ यह बतलाया है कि यह दोनों मार्ग एक ही लक्ष्य तक पहुँचने के माध्यम हैं। इसलिए हम इनमें से किसी भी मार्ग का चुनाव कर सकते हैं। एक बुद्धिमान व्यक्ति को अपने कर्मों को भगवान को समर्पित करते हुए अथवा उनके फल कि चिंता करे बिना अपने सांसारिक कर्तव्यों का पालन करते रहना चाहिए। इस तरह वे पाप से अप्रभावित रहते हैं और अंततः मुक्ति प्राप्त करते हैं।

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