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सांख्ययोग

Transcendental Knowledge

The second chapter of the Bhagavad Gita is “Sankhya Yoga”. This is the most important chapter of the Bhagavad Gita as Lord Krishna condenses the teachings of the entire Gita in this chapter. This chapter is the essence of the entire Gita. “Sankhya Yoga” can be categorized into 4 main topics –

1. Arjuna completely surrenders himself to Lord Krishna and accepts his position as a disciple and Krishna as his Guru. He requests Krishna to guide him on how to dismiss his sorrow.

2. Explanation of the main cause of all grief, which is ignorance of the true nature of Self.

3. Karma Yoga – the discipline of selfless action without being attached to its fruits.

4. Description of a Perfect Man – One whose mind is steady and one-pointed.

 

पारलौकिक ज्ञान

भगवद गीता का दूसरा अध्याय सांख्य योग है। यह अध्याय भगवद गीता का सबसे महत्वपूर्ण अध्याय है क्योंकि इसमें भगवान श्रीकृष्ण संपूर्ण गीता की शिक्षाओं को संघनित करते हैं। यह अध्याय पूरी गीता का सार है। सांख्य योग को 4 मुख्य विषयों में वर्गीकृत किया जा सकता है –

१. अर्जुन ने पूरी तरह से भगवान कृष्ण को आत्मसमर्पण किया और उन्हें अपने गुरु के रूप में स्वीकार किया।

२. सभी दु:खों के मुख्य कारणों की व्याख्या, जो स्व की वास्तविक प्रकृति की अज्ञानता है।

३. कर्मयोग – अपने कर्मों के फलों से जुड़े बिना नि:स्वार्थ क्रिया का अनुशासन।

४. एक परिपूर्ण मनुष्य का विवरण – जिसका मस्तिष्क स्थिर और एक-इशारा है।

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